For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमने बुलाया और मैं चली आई 

मगर तुम भी जानते हो  

न तुमने दिल से बुलाया

 न मैं दिल से आई  

 

अच्छा हुआ जो तुम

मेरी महफ़िल में नहीं आये

क्यूंकि तुम अदब से आ नहीं सकते थे

और मैं औपचारिकतानिभा नहीं सकती थी

 

आयोजन में कस के गले मिले और बोले  

अरे बहुत दिनों बाद मिले हो

अच्छा लगा आप से मिलकर

सुनकर हम दोनों के घरों के पड़ोसी गेट हँस पड़े   

 

 

 सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है

 

 

गंगा खुश है आज उसे गुदगुदी हो रही है वो हँस रही है   

शायद कोई गंगा दिवस भी घोषित हो जाए

और वो भी

एक औपचारिकता के अध्याय में जुड़ जाए.

--------------------------------

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:08am

आ० लक्ष्मण जी,क्षणिकाओं को आपका अनुमोदन मिला लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार आपका|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:06am

आ० योगराज जी,प्रस्तुति आपसे अनुमोदन पाकर धन्य हुई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से बहुत-बहुत आभार आपका सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 20, 2014 at 10:04am

आ० गिरिराज जी,क्षणिकाएँ आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका|

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 11:16am

बहुत सार्थक  क्षणिकाएं रचित है आपने आदरणीया राजेश  जी | 

सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है    ---------- साफ कर रहा है, 

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है--------- बहुत सुंदर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 11:03am

सभी क्षणिकाएँ  दिल को छूने वाली है हैं आ० राजेश कुमारी जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 19, 2014 at 9:54am

सुबह से भोलू गांधी जी की प्रतिमा को

रगड़-रगड़ कर साफ़ रहा है

 परिंदे आज बहुत  खुश हैं

 चलो कम से कम एक साल में तो

उनका शौचालय साफ़ होता है ----- बहुत बढिया ! सभी क्षणिकायें सुन्दर लगीं , बधाई आदरणीया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2014 at 9:50pm

हार्दिक धन्यवाद किशन कुमार जी 

Comment by किशन कुमार "आजाद" on November 17, 2014 at 2:22pm
बहुत ही प्यारी रचना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 6:55pm

शिज्जू भैय्या दिल से बहुत -बहुत आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2014 at 6:54pm

आ० डॉ० गोपाल जी,प्रस्तुति  आपकी प्रतिक्रिया पाकर प्रस्तुति धन्य हुई  इस प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभारी हूँ सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service