For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माध्यमिक बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं की जंचाई चरम पर थी । मास्साब दनादन काॅपी जांचने में मशगूल थे। एकाएक ! एक काॅपी के दो पन्ने ही चेक कर पाये थे ,कि काॅपी में चिपका सौ का नोट, रोल नम्बर ,विद्यार्थी का नाम और एक टिप्पणी :
"कृपया नम्बर बढा दीजिये।"

अड़ोसी पड़ोसी मास्टर मास्टरनियों ने एक दूसरे को कनखियों से देखा । जैसे मन ही मन कह रहे हो ;

"हाय! ये काॅपी मेरे बंडल में क्यों न निकली ?"

बीस पच्चीस काॅपियों के बाद फिर एक काॅपी में पाँच सौ का नोट और कुछ वैसी ही मिलती जुलती टिप्पणी थी । मास्साब प्रसन्नचित्त।
मास्साब की आज की किस्मत से परोक्षतः जले भुने प्रत्यक्षतःप्रेम प्रदर्शित करते हुये एक साथी मास्साब ने पूछ ही डाला :
"घर से निकलते समय क्या शगुन हुआ था महाराज?"
मास्साब पहले तो सकुचाये फिर गद्गद कंठ से बोले :
"शगुन क्या ? वो भरी हुई बाल्टी देखी थी।" मास्साब कहकर झेंप गये.
"ओ ,हो ! जे बात "  साथी मास्साब ने टंकी लगाई.
परिणाम आने पर मेधावी छात्र के 70% और बैकबेन्चर के 72% नम्बर थे। किसी का शगुन किसी का अपशगुन था I उस टाॅपर को क्या पता उसका रास्ता हरी बिल्ली काट गई थी।

डाॅ सन्ध्या तिवारी

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 27, 2014 at 10:28am

बहुत ही बेहतर लघुकथा, बधाई आपको आदरणीया डा.संध्या जी

Comment by somesh kumar on October 26, 2014 at 9:13pm

vaah hri billi ka jwaab nhin hr jgh ye logon ke bhagy bdlti hai 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 26, 2014 at 8:29pm

आदरणीय संध्या जी

हरी बिल्ली  की करामत पर आपको बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service