For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंच-दाँ रहनुमा

तुम हुए मंच-दाँ जब से मन निहाई हो गया

यों मगर खाली निहाई पीटने से क्या हुआ |

सोन-माटी के कबाड़े क्यों नजर आते नहीं

सिर्फ़ बातों की हथौड़ी से धरा सब रह गया |

           

तुम हुए रहनुमा मकसद घर से बाहर चल पड़े   

पर तुम्हारी रहबरी ने क्या-क्या जिल्लत ना दिया |

लूटने का हुनर दौलत की हवस बढ़ती गई  

आबरू पे भी निगाहें जीना मुश्किल कर दिया |

 

तुम सियासत के सदन से निकलकर बागी हुए

दर्द का मारा लगा हम सब के ख़ातिर आ गया |

तेंदुए की चाल लेकिन तुम छिपा पाए नहीं   

देखकर बस्ती का हर घर खौफ़ से सहम गया |

 

खूँ-पसीने की कमाई उजले कालिख में फँसी

हर फसल अच्छी रही पर हाथ कुछ भी ना मिला |

मंच से बोली लगाया बनके तुमने खेतिहर

चौधरी फिर खुद ही बन खलिहान सारा ले लिया |

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 -- संतलाल करुण 

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:26pm

आदरणीय विजय मिश्र जी,

आप ने रचना में व्यक्त पीड़ा पर तदात्मक प्रतिक्रिया दी; हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:25pm

आदरणीय लड़ीवाला जी,

दिनकर के सन्दर्भ और कविता के मर्म की अनुभूतिपरक  प्रतिक्रिया के लिए हृदयपूर्वक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:23pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,

आप के प्रशंसात्मक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:21pm

आदरणीया वेदिका जी,

श्लाघात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:19pm

आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी,

प्रशंसात्मक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:18pm

आदरणीय पवन कुमार जी,

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:17pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,

प्रशंसात्मक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:15pm

आदरणीया कल्पना वाजपेई जी,

प्रेरक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:13pm

आदरणीया मीना पाठक जी, 

प्रेरणात्मक प्रतिक्रिया के लिए हृदयपूर्वक आभार !

Comment by विजय मिश्र on August 21, 2014 at 12:47pm
दो वर्गों में बंटे इस समाज की आंतरिक दुर्दशा पर एक सटीक रचना पढ़ने को मिली | करुणा ही करुणा दिखती है |आभार भाई संतलाल जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
17 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
19 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
31 minutes ago
Admin posted discussions
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service