For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अगम है प्रेम पारावार फिर भी  प्रिये पतवार लेकर आ गया हूँ I

विकल मन में जलधि के ज्वार  फूटे

तार      संयम       अनेको     बार    टूटे

प्राण     आकंठ      होकर       थरथराये

नेह    के   बंधन   सजीले   थे   न    छूटे

प्यास  की  वासना  उद्दाम ऐसी  नयन  सागर सहेजे आ गया हूँ I

 

नयन   ने    काव्य  करुणा  के   रचे  हैं

कौन  से    पाठ्यक्रम    इससे    बचे   हैं

किसी   कवि   ने   इन्हें जब गुनगुनाया

लाज     ने    तोड़      डाले    सींकचे    हैं

गीत    संसार  को ऐसे  न भाते   तरह  जैसे  कि मै सरसा गया हूँ I

न     जाने      कौन     सा उन्माद है यह

चरम    है    और      अनहद   नाद है   यह

रूप   में       रमना    रमकर   राम    होना I

प्रकृति  का  शास्वात   रस्वाद  है    यह       

चाह थी नील- नभ में श्याम हो  लूँ राह मे अभ्र से टकरा  गया हूँ I

अगम है  प्रेम पारावार  फिर  भी  प्रिये पतवार लेकर आ गया हूँ I

 

 

 

(मू ल व्  अप्रकाशित )

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2014 at 9:43pm
पवन जी
आपका आभार i
Comment by Pawan Kumar on August 22, 2014 at 3:08pm

 प्रणाम सर..... बहुत सुन्दर पंक्तियां हैं , और चुनिन्दा शब्दों का मेल कितना है...बधाई स्वीकार करें।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 13, 2014 at 8:19pm

विजय जी

आपका ह्रदय से आभार् प्रकट  करता हूँ

Comment by विजय मिश्र on August 13, 2014 at 2:22pm
इतनी मनमोहक रचनावली में इतने सुंदर शब्द चयन के साथ इतने हृदयस्पर्शी भाव व्यक्त किये हैं कि मन पढकर गदगद हो गया |
"अगम है प्रेम पारावार फिर भी प्रिये पतवार लेकर आ गया हूँ |"
ईश्वर के समक्ष स्वेम को व्यक्त करने केलिए इससे सुंदर और क्या अभिव्यक्त हो सकता है ! हार्दिक आभार श्रीगोपालजी |
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 13, 2014 at 10:37am

जवाहर जी

आपका आभार प्रकट करता हूँ i

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 13, 2014 at 9:35am

नयन   ने    काव्य  करुणा  के   रचे  हैं

कौन  से    पाठ्यक्रम    इससे    बचे   हैं

किसी   कवि   ने   इन्हें जब गुनगुनाया

लाज     ने    तोड़      डाले    सींकचे    हैं

गीत    संसार  को ऐसे  न भाते   तरह  जैसे  कि मै सरसा गया हूँ I

पंक्तियाँ मुझे बेहतर लगी. सादर!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 12, 2014 at 8:26pm

धामी जी

यहाँ हम सब मिलकर सीखते है  i  आपका बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 12, 2014 at 11:50am

जीतू भाई i

आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2014 at 11:50am

आ० भाई गोपाल नारायण जी , इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई . मैं भी अनेकों शब्द के विषय में भ्रमित था . बहुत सी पाठ्य पुस्तकों और कथा कहानियों में भी अनेकों शब्द पढने को मिल जाता है .सहित्तिक पत्रिकाओं में भी .पर कभी किसी से पूछने या कहने का साहस नहीं कर पाया आज आ० भाई सौरभ जी और आपकी चर्चा ने भ्रम का पर्दा हटा दिया . इसके लिए आप दोनों का हार्दिक धन्यवाद .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 12, 2014 at 11:48am

शत शत अभिनन्दन

 

सादर अभिवादन/ आदरणीय निकोर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service