For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" बाऊ , आज त पेट भर खाए के मिली न " लखुआ बहुत खुश था । आज ठकुराने में एक शादी थी और लखुआ का पूरा परिवार पहुँच गया था । पूरा दुआर बिजली बत्ती से जगमग कर रहा था और चारो तरफ पकवानों की सुगंध फैली हुई थी ।
" दुर , दुर , अरे भगावा ए कुक्कुर के इहाँ से " , चच्चा चिल्लाये और दो तीन आदमी कुत्ते को भगाने दौड़ पड़े । लखुआ भी डर के किनारे दुबक गया । तब तक उन लोगों की नज़र पड़ गयी इन पर " ऐ , चल भाग इहाँ से , अबहीं त घराती , बराती खईहैं , बाद में एहर अईहा तू लोगन " । फिर याद आया कि पत्तल भी तो उठवाना है इनसे तो बोले " अच्छा , जब लोग खाना खा लिहं , तब पतरी उठा के फेंक दिहा , अउर एकदम सफ़ाई से , गन्दा न रहे "। अब लखुआ फिर से थोड़ा आगे बढ़ा तो बाप ने टोका " ढेर आगे मत जा , अबहीं टाइम हौ " ।
धीरे धीरे रात गहराने लगी , लखुआ के पेट में भूख से मरोड़ें पड़ रहीं थीं । खाना शुरू हुआ , बीच बीच में कुत्ते थोड़ा आगे बढ़ जाते और उनको भगाने वाले चिल्ला के भगा देते । अचानक एक कुत्ता एकदम से पंगत के बीच में पहुँच गया , और शोर मचा कि भगाओ इसे । गुस्से में एक आदमी ने लाठी उठाई और उसे भगाते हुए खींच के मारा । फिर एकदम से आवाज आई " अरे बाऊ " , और लखुआ सर पकड़ के गिर गया । लाठी सीधे उसके सर पे लगी थी और वो वहीँ पर ढेर हो गया ।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 805

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 4, 2014 at 5:50pm

आभार मीना पाठकजी ..

Comment by विनय कुमार on August 4, 2014 at 5:49pm

आभार डॉ गोपाल नारायणजी ..

Comment by विनय कुमार on August 4, 2014 at 5:49pm

आभार सुभ्रांशुजी ..

Comment by Shubhranshu Pandey on August 4, 2014 at 4:04pm

आदरणीय विनय जी,

समाजवादी मानसिकता के एक क्रुर सच को दिखाया.

सुन्दर.

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2014 at 12:07pm

कुक्कुर नहीं , कुक्कुरसे बदतर  i

यथार्थ -परक  लघु कथा i सुन्दर i

Comment by Meena Pathak on August 4, 2014 at 11:48am

ओह!!

बेहद मार्मिक 

Comment by विनय कुमार on August 4, 2014 at 10:32am

आभार जीतेन्द्र जी । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2014 at 9:42am

बहुत ही मर्मस्पर्शी लघुकथा, बधाई आदरणीय विनय जी

Comment by विनय कुमार on August 3, 2014 at 11:49pm

आभार जवाहरलाल जी..

Comment by विनय कुमार on August 3, 2014 at 11:48pm

आभार राम शिरोमणि पाठकजी , सच है ये आज भी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service