For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल:वो भूलने का असर यादगार से कम था(भुवन निस्तेज )

कहाँ तूफान था वो तो बयार से कम था
वो भूलने का असर यादगार से कम था

खयाल आते ही मुरझाये फूल खिलते थे
गुमाँ-ए-वस्ल कहाँ इस बहार से कम था

छुपाके अश्क तबस्सुम उधार ले ली थी
कहाँ ये चेहरा मेरा इश्तेहार से कम था

वो याद मुझको किये रात दिन रहा ऐसे
मेरा रक़ीब कहाँ तेरे यार से कम था

खरीददार सा आँखों में रौब था सब के
वो घर कहाँ किसी चौक-ओ-बाज़ार से कम था

  मैं ग़मज़दा था, मै निस्तेज था औ' घायल भी
मैं मुन्तसिर था मगर अब की बार से कम था

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 666

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comments are closed for this blog post

Comment by भुवन निस्तेज on October 9, 2014 at 2:36pm

आदरणीय गिरिराज साहब देर साने केलिए क्षमा चाहता हूँ. साथ ही क्षमाप्रार्थी भी की मैं ग़ज़लों में अक्सर मात्राओं का उल्लेख नहीं कर पाता. इस रचना के लिए मैंने १२१२ ११२२ १२१२ २२ मात्राओं के अनुसार तक्तीअ की है...

Comment by भुवन निस्तेज on September 4, 2014 at 10:49pm

आदरणीय वीनस भाई आपका बेहद धन्यवाद, आपकी इस्सलाह पर गौर करूँगा....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2014 at 9:08am

कहाँ तूफान था वो तो बयार से कम था
वो भूलने का असर यादगार से कम था

खयाल आते ही मुरझाये फूल खिलते थे
गुमाँ-ए-वस्ल कहाँ इस बहार से कम था

छुपाके अश्क तबस्सुम उधार ले ली थी
कहाँ ये चेहरा मेरा इश्तेहार से कम था  ---- आदरणीय भुवन भाई , इन लाजवाब अश'आर के लिए आपको दिली बधाइयाँ |

आपने बहर का उल्लेख नहीं किया है , अंतिम दो शे र में या तो बहर की या रवानी की कमी लगा रही है | अगर सुधर जाए तो पूरी ग़ज़ल में मजा आ जाए |

 

Comment by वीनस केसरी on August 7, 2014 at 3:07am

भुवन साहब,
अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद 
चंद मिसरे और रवां-दवां होते तो लुत्फ़ दोबाला हो जाता

Comment by भुवन निस्तेज on August 5, 2014 at 3:33pm

आदरणीय गुमनाम भाई, बहुत बहुत शुक्रिया,आपने इस रचना को सराहा,

पर समझ में नहीं आ रहा इस बार इतना सन्नाटा क्यों छाया है?

Comment by gumnaam pithoragarhi on August 1, 2014 at 3:54pm

छुपाके अश्क तबस्सुम उधार ले ली थी
कहाँ ये चेहरा मेरा इश्तेहार से कम था

waah sir ji khoob gazal hui hai,,,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी बिल्कुल संदर्भ समझ आ गया था। और आपने जैसे उसे दोहे में प्रयोग किया वो काफ़ी पसंद भी आया। मेरा भी…"
11 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" सराहना और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अजय जी।टीवी के एक विज्ञापन से प्रेरित है वह…"
26 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आह और वाह आदरणीया प्रतिभा जी। चित्र को एक अलग ही ऊंचाई प्रदान की है आपने अपने शब्दों से। प्रकृति…"
45 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"अतिप्रभावी सृजन आदरणीय। हर दोहा अपनेआप में नया परिदृश्य और नया भाव उत्पन्न कर रहा है। हार्दिक बधाई"
49 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सुंदर दोहवली के सृजन पर आपको हार्दिक बधाई अखिलेश जी। वर्षाजल संचय के रूप में एक अचूक उपाय अपनाने पर…"
54 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई शिज्जू जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र पर सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी स्नेहमयी व उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, प्रयास करता हूँ। सादर.."
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी के इस बार कुछ, नर्म लग रहे रंग।। -- पथिक थका रवि से कहे, मत…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर आ रे, सूरज आजमा, किसमें कितना जोर     मूरख…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी कोशिशों पर तो हम मुग्ध हैं, शिज्जू भाई ! आप नाहक ही छंदों से दूर रहा करते हैं.  किसको…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service