For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह बात 24 जून 1989 की है मेरे पिता जी जनपद देवरिया के पडरौना में तैनात थे। हम लोग वही से अपनी कार यू0पी0के0 4038 से पडरौना से अपनी मौसी की शादी में भाग लेने धरहरा मुँगेर जा रहे थे। हमारे साथ हमारी माता जी, दो भाई, मामा और वह मौसी जिनकी शादी थी और उनकी एक मित्र रूबी थी। हम लोग सुबह 6 बजे पडरौना से निकल कर 12 बजे गोपालगंज बिहार के पास पहुँचे थे उसी समय हम लोगो की कार खराब हो गयी हमारे मामा गोपालगंज बिहार से लाये मगर शा वह कार किसी तरह को गोपालगंज के अपने गैरेज में लाया मगर वह कार को पूरी तरह से ठीक करने में 2 दिन का समय मागा चूकि हम लोग शादी में जाना था सेा उसने कहा कि गोपलगंज शहर सहित पूरे बिहार के माहौल ठीक नहीं है आप लोगो को पूरी रात बिहार में यात्रा करनी है जो काफी कठिन होगा आप लोग वापस लौट जाये मैं 100 किलोमीटर तक जाने लायक कर देता हॅू। हम लोग वापस लौटने लगे मगर दुर्भाग्‍य देखीये जिस जगह में दिन में कार खराब हुई थी वही फिर खराब हो गयी रात के 9 बज रहे थे हम लोग परेशान उस समय हम लोगी गाडी में विवाह में देने हेतु 2 लाख नगद एवं लगभग 20 भर जेवर थे और अन्‍य सामान हम लोग परेशान हो गये अौरते रोने लगी, तब हम लोगो किसी तरह सडक के किनारे बसे गाँव में पहुँचे और मदद मॉंगी वह लोग तुरन्‍त बाहर निकले और गॉंव से एक किलोमीटर दूर सडक पर आये तथा सारा सामन निकल कर एक बैलगाडी पर लादे हम लोगो को बैठाया और खेतो के सहारे गोपालगंज स्‍टेशन चल दिये मौसम पूरी तहर खराब था आसमान में काले बादल अधेरी रात डरावना माहैाल मगर वह 10 की संख्‍या में हथियारो से लैस होकर चल रहे थे अभी हम आधे रास्‍ते पहुॅचे ही थे कि कुछ लूटेरो ने हमें घेर लिया मगर साथ चल रहे लोगो ने उनका मुकाबल किया जिसमें कुछ लोग घायल होगये हमारी आवाजे और चीखे सुन कर पास के गाँव के लोग निकल कर बाहर आये तब तक लूटेरे भाग गये थे, हम गाडी में घायलो को लाद कर गोपालगंज रेलवे आये वहा भी पूरी तरह सन्‍नाटा केवल एक दुकान झोपडी में खुली थी हम लोग भूख से व्‍याकुल थे, उसने हम लोगों को उस समय 30 रूपया प्‍लेट चावल दाल सब्‍जी बना कर खिलाया, खाने में पत्‍थरो का बोलबाला था मगर चंडाल पेट सब हजम करने को तैयार। रेलवे स्‍टेशन से पुलिस को सूचना दिया गया वही से घयलो केा अस्‍पताल और हम लोगो को एक पैसेजर ट्रेन से पडरौना भेजा गया। हम लोग सुबह 6 बजे 24  घंटे में जिन्‍दगी की एक खौफनाक सफर करके लौटे मगर हम लोगो का मन आज भी उन गोपाल गंज बिहार के लोगो के प्रति श्रधा से झुक जाता है।किस प्रकार उन्‍होने अपनी जान पर खेल कर हमें तथा हमारे सामानो को बचाया ओर सुरक्षित पहुँचा और उसके एवज में ईलाज तक के पैसे लेने से इन्‍कार कर दिये।

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

Views: 1985

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on July 20, 2014 at 8:39pm

आप भाग्यशाली थे जो ऐसे निःस्वार्थ और सहयोगी लोग मिले नही  तो ना जाने क्या होता ..

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 8:00pm

आदरणीय अखंड गहमरी जी,

निस्स्वार्थ सेवा-भाव पर अत्यंत पठनीय संस्मरण; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
24 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
27 minutes ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service