For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २१२ २१२ २१२

-----------

जाल सहरा पे डाले गए

यूँ समंदर खँगाले गए

 

रेत में धर पकड़ सीपियाँ

मीन सारी बचा ले गए

 

जो जमीं ले गए हैं वही

सूर्य, बादल, हवा ले गए

 

सर उन्हीं के बचे हैं यहाँ

वक्त पर जो झुका ले गए

 

मैं चला जब तो चलता गया

फूट कर खुद ही छाले गए

 

जानवर बन गए क्या हुआ

धर्म अपना बचा ले गए

 

खुद को मालिक समझते थे वो

अंत में जो निकाले गए

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:38pm

बहुत बहुत धन्यवाद Saurabh  जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:50am

दाद दाद दाद !
आदरणीय धर्मेन्द्रजी. बहुत सार्थक ग़ज़ल कही है आपने.

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जु शकूर जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:02pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ गिरिराज भंडारी जी। स्नेह बना रहे।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:01pm

बहुत बहुत धन्यवाद Kewal Prasad जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया  Nilesh Shevgaonkar जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:00pm

बहुत बहुत शुक्रिया  अरुन शर्मा 'अनन्त' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:00pm

बहुत बहुत शुक्रिया rajesh kumari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 10:00pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  Dr Ashutosh Mishra जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 11, 2014 at 9:59pm

बहुत बहुत शुक्रिया जितेन्द्र 'गीत' जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service