For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर वही कहानी “नारी व्यथा”....

फिर वही कहानी “नारी व्यथा”

आज फिर सुर्ख़ियों में पढ़कर एक नारी की व्यथा,
व्यथित कर गयी मेरे मन को स्वतः
नारी के दर्द में लिपटे ये शब्द संजीव हो उठे हैं
इस समाज के दम्भी पुरुष
कभी किसी दीवार के पार उतर के निहारना
नारी और पुरुष के रिश्ते की उधडन नजर आएगी तुम्हे
कलाइयों को कसके भींचता हुआ, खींचता है अपनी ओर
बिस्तर पर रेंगते हुए, बदन को कुचलता है
बेबसी और लाचारी में सिसकती है,
दबी सहमी नारी की देह पर ठहाकों से लिखता है,
अपने समय की कब्र में, एक कटुता का रिश्ता
अपने जख्मों को निहारती
लहुलुहान रिश्तों को जेहनी गुलामी का नाम देकर
सहलाती है, पुचकारती है, दर्द में बिन आंसुओं के रोती है
जिन्दगी भर उस गुलामी को सहेजती है, ऐ खुदा तेरी बनाई ये नारी.....
माथे की बिंदी से पाँव के बिछुओं तक
में लिखती हैं पुरुष का नाम
चूड़ियों का कहकशा, जर्द आँखों की जलन
बेबसी कहीं विलीन क्यों नहीं होती 
पल पल ठंडी राख सा होता उसका बदन,
जलते हुए अक्षरों का दर्द मिटा नहीं पाता
कि फिर लिख देता है पुरुष अपने बल से
नारी की देह पे क्रूरता की परिभाषा
बाजुओं की पकड़ से निस्तेज होती रूह,
कुचल देती है नारी की संवेदनाओं को
लूट के अस्मत, ये व्यभिचारी खेलते हैं भावनाओं से,
तड़फती कोख का दर्द लिए
निरीह प्राणी की तरह जीवन जीती है, ऐ खुदा तेरी बनाई हुई नारी.........

.

सुनीता दोहरे ...

मौलिक एवम अप्रकाशित....

Views: 931

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 7:23pm

और, नारी उसी पुरुष की प्रतिकृति को जन्म दे फूली नहीं समाती जिसके गर्वमर्दन को अपना श्राप समझती जीवन भर झींकती रहती है. यहीं नारी हारती है और अहमन्य पुरुष जीतता है.

लेकिन, एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न, कि ये परिपूरक परस्पर प्रतिद्वंद्वी कबसे हो गये ? कि, सम्बन्धों में जीत और हार के पहलू सिक्कों की तरह ढल गये. उस विन्दु तक आने में कितना नारी गली और कितना पुरुष सड़ा.

आएँ, हम इस रचना के परिप्रेक्ष्य में इसे विचारें. 

एक व्यवहार को शब्द देने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया.

सादर

Comment by sunita dohare on July 3, 2014 at 11:00pm

 mrs manjari pandey जी , आपका बहुत -बहुत धन्यवाद .... सादर प्रणाम !

Comment by sunita dohare on July 3, 2014 at 10:59pm

 Laxman Prasad Ladiwala जी , आपका बहुत -बहुत धन्यवाद .... नमस्कार !!!

Comment by sunita dohare on July 3, 2014 at 10:59pm

शिज्जु शकूर जी , आपका बहुत -बहुत धन्यवाद .... सादर प्रणाम !

Comment by sunita dohare on July 3, 2014 at 10:57pm

Priyanka singh जी , आपका बहुत -बहुत धन्यवाद .... सादर प्रणाम !

Comment by sunita dohare on July 3, 2014 at 10:57pm

rajesh kumari जी , रचना की सराहना करके प्रोत्साहित करने के लिए आपका बहुत -बहुत धन्यवाद .... सादर प्रणाम 

Comment by mrs manjari pandey on July 3, 2014 at 8:56pm
आदरणीया सुनीता दोहरे जी सामयिक अनुभूति पर अच्छी रचना। बहुत बहुत साधुवाद
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 3, 2014 at 12:54pm

दर्द की पीड़ा को दर्शाती मार्मिक भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई आद सुनीता दोहरे जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2014 at 8:05am

दिल को छूती हुई रचना, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Priyanka singh on July 2, 2014 at 5:08pm

नारी की वेदना, पीड़ा को उकेरती आपकी रचना मन को विचलित कर गयी .....आज का घिनोना सत्य ....

बेहतरीन रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service