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सच-झूठ,दिन-रात
बनाते रहते हैं लोग.
औरत और आदमी को
अलगाते रहते हैं लोग.
हर रोज जीवन को
उलझाते रहते है लोग.
कभी बनाते है भोग्या
तो कभी चढ़ाते हैं भोग.
नर-नारीपूरक हैं,
नही समझ पाते लोग.
दोनो का सम- भाव हो
कब आएगा यह संजोग?

विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 26, 2014 at 3:11pm

आपने सराहना की,रचना आपको अच्छी लगी, आपका बहुत- बहुत आभार सह नमन आ० गोपाल नारायण जी.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 26, 2014 at 12:53pm

शर्मा जी

बहुत सुन्दर बात की आपने i नारी नर की पूरक है i वह सामग्री  नहीं है i जाने कब इस सत्य को लोग समझेंगे i

कृपया ध्यान दे...

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