For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ताज़ा नवगीत -----जगदीश पंकज---मैं स्वयं निःशब्द हूँ,


एक ताज़ा नवगीत -----जगदीश पंकज

मैं स्वयं निःशब्द हूँ,
निर्वाक् हूँ
भौंचक्क ,विस्मित
क्यों असंगत हूँ
सभी के साथ में
चलते हुए भी

खुरदरापन ही भरा
जब जिंदगी की
हर सतह पर
फिर कहाँ से खोज
चेहरे पर सजे
लालित्य मेरे
जब अभावों के
तनावों के मिलें
अनगिन थपेड़े
तब किसी अवसाद
के ही चिन्ह
चिपकें नित्य मेरे

मुस्कराते फूल
हंसती ओस
किरणों की चमक से
हैं मुझे प्रिय
किन्तु, हैं अनुताप में
जलते हुए भी

बदलते जब मूल्य
जीवन के,
विवादित आस्थाएं
तब समायोजित करूँ
मैं किस तरह से
इस क्षरण में
देख कर अनदेख
सुनकर अनसुना
क्यों कर रहे हैं
वे ,जिन्हें सच
व्यक्त करना है
समय के व्याकरण में


भव्य पीठासीन,मंचित
जो विमर्शों में
निरापद उक्तियों से
मैं उन्हें कैसे
कहूँ अपना
सतत गलते हुए भी

मैं उठाकर तर्जनी
अपनी, बताना चाहता
संदिग्ध आहट
किस दिशा,किस ओर
खतरा है कहाँ
अपने सगों से
जो हमारे साथ
हम बनकर खड़े
चेहरा बदल कर
और अवसरवाद के
बहरूपियों से ,गिरगिटों से,
या ठगों से

मैं बनाना चाहता हूँ
तीर, शब्दों को
तपाकर
लक्ष्य भेदन के लिए
फौलाद में
ढलते हुए भी

----जगदीश पंकज
------------------------------------------------------------------------------------------

रचना मौलिक ,अप्रकाशित ,अप्रसारित
----जगदीश पंकज

Views: 1029

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 11:54pm

मैं बनाना चाहता हूँ
तीर, शब्दों को
तपाकर
लक्ष्य भेदन के लिए
फौलाद में
ढलते हुए भी.....................सुन्दर पंक्तियाँ बधाई

Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on August 8, 2014 at 11:12pm

 आत्मीय टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार ,भाई Asif Amaan जी !

Comment by Asif Amaan on August 8, 2014 at 11:12am

इसे कहते हैं कलाम.. वाह!! जिंदाबाद!!!!

Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on August 5, 2014 at 8:04pm

आत्मीय अभिमत के लिए ह्रदय से आभार, vandana जी !

Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on August 5, 2014 at 8:01pm

टिप्पणी के लिए ह्रदय से आभार ,भाई narendrasinh chauhan जी !

Comment by vandana on July 29, 2014 at 5:08am

बहुत प्रभावी नवगीत आदरणीय सादर बधाई स्वीकार कीजिये 

Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on July 16, 2014 at 9:07pm

आत्मीय अभिमत के लिए ह्रदय से आभार, वेदिका  जी !

Comment by वेदिका on July 16, 2014 at 12:56am
वाह! बेहद प्रभावी नवगीत!
शुभकामनाएं आदरणीय जगदीश जी!
Comment by JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ on July 14, 2014 at 3:23pm

गीत पर आपके आत्मीय अभिमत के लिए ह्रदय से आभार, Maheshwari Kaneri जी !

Comment by Maheshwari Kaneri on July 14, 2014 at 2:05pm

वाह! बहुत ही सुन्दर नवगीत! आपको हार्दिक बधाई!आदरणीय जगदीश पंकज जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
15 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service