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प्रश्न यह अश्लील है, पैदा हुई क्यों लड़कियां ?
घर की दीवारें लाँघ कर बाहर गयी क्यों लड़कियां?
वो सांस्कृतिक कार्यक्रमों , में उम्र सीमा बांधते|
खोल कर उनके मुखौटे घर से क्यों भागी लड़कियां?

है किसी की बहन , किसी की बेटी लड़कियां
फिर क्यों चौराहों पर, घूरी जाती हैं लड़कियां ?
वक्त बदला है, वो जल्दी ही उतार फेकेंगी |
चूड़ियों की हथकड़ी और पायलों की बेड़ियाँ |

न जाने कितने रूपों में हैं प्यार लुटाती लड़कियां|
जिंदगी की धूप में , छाँव हैं ,ये लड़कियां|
किस सम्मान के नाम पर हैं, क़त्ल की जा रही?
इक आदत भाई की खातिर रोती हैं कितनी लड़कियां|


मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by DIWAS MISHRA on June 14, 2014 at 5:05am

धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी वास्तव में यह टंकड़ त्रुटि है ,हर एक कलियुग के बाद सट्यूड आएगा इन्ही उम्मीदों के सहारे हम जी रहे हैं |

Comment by DIWAS MISHRA on June 14, 2014 at 5:01am

धन्यवाद आदरणीया अन्नपूर्णा जी ये प्रश्न मन को उद्वेलित करते रहते हैं, जबाब अभी तक तो नही मिल पाया है देखते हैं आगे आने वाली पीढ़ी शायद इन्हे समझ सके |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 13, 2014 at 8:55am

आदरणीय दिवास भाई , बहुत ही मुखरित प्रश्न उठाये है आपने l  इसका जवाब हम सब पुरुषों के मन में ही छिपा है  इस्वर की तरह आब यह हम पर है की उसे हम कितना तलास पाते हैं . हमारे समाज में इन प्रश्नों और इस्वर की एक ही गति है . बहरहाल एक अच्छी ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई .

Comment by Meena Pathak on June 12, 2014 at 11:33pm

जवाब नही मिलेगा आप को  | सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 12, 2014 at 9:48pm
जो जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर है
वही एक प्रश्न बन कर रह गयी हैं लड़कियाँ .
बहुत अच्छी रचना है , बधाई प्रिय दिवास जी .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 12, 2014 at 9:38pm

दिवस जी

आखिरी पंक्तिमे शायद टंकण त्रुटि है  i संभवतः ' इक अदद  भाई की खातिर' होना चाहिए था i  बाकी लडकियों के साथ क्या हो रहा है  सब जानते है i  सतयुग  लगभग अज्ञात है  द्वापर में द्रौपदी की लाज लुटी i त्रेता में सीता का अपहरण हुआ  i कलयुग प्रत्यक्ष है  i इस प्रश्न का उत्तर शयेद ही कभी मिल पाए i  पर प्रश्न तो शाश्वत है i

Comment by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:42pm

सार्थक प्रश्न !! उत्तर शायद ही कोई दे सकेगा । 

Comment by DIWAS MISHRA on June 12, 2014 at 6:46pm

धन्यवाद गिरिराज जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 12, 2014 at 6:46pm

आदरनीय , सदा से ही ये प्रश्न ऐसे ही खड़े हैं , कोई उत्तर नही खोज पाया ! सुन्दर रचना के लिये बधाई ॥

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