For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आये अज़ल जिस गोद में ……

आये अजल जिस गोद में  ……

कितने निर्दयी हो तुम
दबे पाँव आते हो
मेरे खामोश लम्हों को
अपनी यादों से झंकृत कर जाते हो
झील की लहरों पे चाँद
लहर लहर मुस्कुराता है
मेरी बेबसी को गुनगुनाता है
सबा मेरे गेसुओं से लिपट
मेरी ख़्वाहिशों को बार बार ज़िंदा कर जाती है
तुम्हारे मुहब्बत में डूबे लम्स
मेरे लबों पे कसमसाते हैं
मगर तड़प के इन अहसासों को तुम न समझोगे
तुम क्यों नहीं समझते
मेरे तमाम मौसम तुम से शुरू होते हैं
और तुम पे ही फ़ना होते हैं
मेरी तन्हाई की हर करवट में
तुम मेरे साथ सोते हो
हर सलवट में तुम्हारी महक होती है
सिहिर जाती हूँ जब भी बादे सबा मुझे छूती है
क्या मेरी दर्द भरी सदा सुनकर भी न आओगे
मेरी प्यास तुम्हारे इंतज़ार में
मेरे इंतज़ार को अपनी यादों की मैखों का दर्द न दो
आओ और मेरे लम्हों को अपने वज़ूद का तआरुफ़ दे दो
मेरे अक्स को अपना अक्स दे दो
आये अजल जिस गोद में
वो मुहब्बत भरा इक फ़र्द दे दो


लम्स=स्पर्श , सदा=आवाज़ ,मैखों=कीलें ,बादे सबा =सुबह की हवा ,फ़र्द =शख़्श,अजल =मौत

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2014 at 3:00pm

आदरणीय  Saurabh Pandey   जी   रचना पर आपकी  प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2014 at 4:58am

कविता की मुलामीयत प्रभावित करती है, आदरणीय ..

सादर बधाइयाँ

Comment by Sushil Sarna on June 5, 2014 at 12:15pm

आदरणीय  बृजेश नीरज  जी   रचना पर आपकी  प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार

Comment by बृजेश नीरज on June 4, 2014 at 10:57pm

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:13pm

 आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपाई जी रचना पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:12pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी   रचना पर आपकी  प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार

Comment by annapurna bajpai on June 4, 2014 at 7:56am

अच्छी रचना , बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 3, 2014 at 10:05pm

आदरणीय सुशील सरन भाई , बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति हुई है , आपको बहुत बधाई ॥

Comment by Sushil Sarna on May 31, 2014 at 6:12pm

भाई गुमनाम जी आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 31, 2014 at 9:23am

khoob sir bahut khoob,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service