For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्मीदों का जन आदेश

उम्मीदों का जन आदेश

 

उम्मीदों का जन आदेश, करे उजागर मन आवेश।

 मतदाता के मन की राज, बूझ रहे हैं पंडित आज।१।

 

घोषित होते ही परिणाम, दिग्गज आज हुए गुमनाम।

सत्ता थी सुन जिनके हाथ, आज पकड़ कर बैठे माथ।२।

 

जम कर नेता किए प्रचार, हार गए अब करें विचार।

शुरू हुआ मंथन का  दौर, जनता पर अब देना गौर।३।

 

महंगाई व भ्रष्टाचार, इनसे जनता थी बेजार।

सत्ता धारी थे मदहोश, समझ न पाये जन आक्रोश।४।

  

परिवर्तन के थे आसार, इसीलिए बदली सरकार।

बात पते की करता देश, लोकतंत्र ने बदला वेश।५।

 

                       -मौलिक व अप्रकाशित

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on June 3, 2014 at 11:32pm

परम आदरणीय सौरभ जी सादर

      सर्वप्रथम रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका ह्रदय से आभार आदरणीय  

     राज के सन्दर्भ में गफलत हो गई है उसीप्रकार देना गौर के स्थान पर करना गौर ही उचित है. किया को किआ नहीं लिखा जा सकता इस सन्दर्भ में आप द्वारा प्रस्तुत उदाहरण तर्कसंगत लगता है आदरणीय.  त्रुटियों  के लिए खेद प्रकट करता हूँ. इस सन्दर्भ में एवं भविष्य में आपके सभी सुझाव सर आँखों पर आदरणीय.  

    उचित मार्गदर्शन हेतु सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 12:11pm

सुन्दर छन्द प्रयास के लिए बधाई स्वीकारें, आदरणीय सत्यनारायणजी.

 मतदाता के मन की राज..  राज स्त्रीलिंग तो नहीं.  मतदाता के मन का राज उचत होगा न !

जनता पर अब देना गौर..  ग़ौर दिया नहीं किया जाता है. अतः यह चरण जनता पर अब करना गौर कहा जाना सहीं होगा.

आपने किये को किए क्यों किया ? किया को क्या किआ लिखा जा सकता है ? नहीं न !

इसके अलावे कोई नियम हो तो बताइयेगा. हाँ, के लिए में लिये नहीं होता.

जो उचित हो हमसभी से साझा कीजियेगा.

सादर

Comment by Satyanarayan Singh on May 29, 2014 at 9:40pm

आ. बृजेश जी रचना सराहने एवं बधाई हेतु सादर आभार साथ ही आपके  प्राप्त सुझाओं का स्वागत है आदरणीय 

Comment by Satyanarayan Singh on May 29, 2014 at 9:37pm

आ. गिरिराज  जी रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका आभारी हूँ. 

Comment by बृजेश नीरज on May 28, 2014 at 10:01pm

अच्छी रचना है! आपको बहुत बधाई!

'परिनाम'......रचना की भाषा की दृष्टि से 'परिणाम' लिखा जाना बेहतर होगा.

'किये' गलत तो नहीं लेकिन 'किए' अधिक उचित होता है. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 28, 2014 at 5:43pm

आदरणीय सत्यनारायण भाई , सुन्दर चुनावी रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Satyanarayan Singh on May 27, 2014 at 9:40pm

आ. जितेन्द्र जी रचना सराहने एवं बधाई हेतु आपका आभारी हूँ. 

Comment by Satyanarayan Singh on May 27, 2014 at 9:40pm

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन जी रचना को समय देने तथा सम्यक विश्लेषण हेतु आपका ह्रदय से आभार 

 

आदरणीय आपने बिलकुल सही फरमाया है की उद्बोधन का चला है  दौर  में  मात्रे अधिक है  i  इसीलिये  यहाँ प्रवाह बाधित होता है i  अतएव मूल रचना में निम्नवत संशोधन प्रस्तावित है. 

शुरू हुआ मंथन का दौर 

Comment by Satyanarayan Singh on May 27, 2014 at 9:28pm

आदरणीय लडिवाला जी रचना की सराहना एवं बधाई हेतु सादर आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 27, 2014 at 11:38am

सच! आखिर जनता जनार्दन ने तख्ता पलट ही दिया, सुंदर दोहावली आदरणीय सत्यनारायण जी .हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service