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जोड़ी बिना अधूरा है |

जीवन के अनजाने पथ पर  , मोड़ अनेको आते हैं |
पथिक अकेला चलता रहता , मिल  लोग  बिछड़ जाते हैं |
कुछ तो मिलकर मन बहलाते ,  कुछ मौन चले जाते हैं | 
कोई दे  सर्द हवा  झोंका ,      कोई ग़म  दे जाते  हैं |  
पर कही मिले कोई नैया , जीवन पार लगा जाती |
गर विरान मरुस्थल में रहे , नई हरीयाली लाती |  
अलग खुशी भरती जीवन में, फूलों से घर महकाती | 
हँसी खुशी से  साथ निभाये ,  घर घर घरनी कहलाती | 
विवेक होता नर नारी में , मन रमा गाड़ी चलाते |
मानव दानव में अंतर क्या , जो घर बसा बिछड़ जाते |
दोनों हाथ मिल  बजे  ताली , जुदा शोर  ना कर पाते | 
जीवन में ग़म भर जाता है ,  जुदा राह जब अपनाते |
पर नर नारी के मिलन बिना ,  जीवन पुष्प अधूरा है | 
तनहा रहकर जो खुशी मिले , जोड़ी  बिना अधूरा  है | 
जाना है एक दिन जहाँ  से , होत  समय जब पूरा है |
वर्मा फिर  ना आने वाला , ठोकर लगा जो गिरा है |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 7:28pm

बहुत सुन्दर रचना .. हार्दिक बधाई | सादर 

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