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सदा देश है प्यारा |

सार छंद | १६-१२ पर यति , अंत दो गुरु |

 

पवन वेग से दीप बचाना, छा ना जाये अंधेरा | 
बढ़ते जाओ चढ़ते जाओ, तोड़ो यम का  डेरा |  
रास्ते में बाधा ना आये, रोक सके ना घेरा | 
वीरों आगे बढ़ते जाओ, तम का तोड़ो डेरा | 
राह से विचलित नहीं होना, बस मंजिल पाना है | 
सर्दी गर्मी या बारिस हो, लक्ष्य ही निशाना  है | 
जहाँ चाह हो वहीँ राह है, नित बढ़ते जाना है |  
मुसीबतों से ना घबराना, खार को हटाना है | 
आंधीं तूफान राह रोके, बढ़  राह बनाना है |  
देश पर भी  आँच ना आये, नित बढ़ते जाना है | 
कोई साथी गर फँस जाये, फ़ौरन बचाना है |  
मिल जुल कर हर कदम बढाओ, बुराई मिटाना है |
वीरों सदा सत पथ पर चलो, देश को बढ़ाना है |  , 
नव विज्ञान नये  तकनीक से, हर खुशियाँ लाना है |
देश का नाम हो दुनिया में, काम कर  दिखाना है |

वर्मा सदा  देश है प्यारा, खुशहाल बनाना है |

.

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 1, 2013 at 12:43am
सर्दी गर्मी या बारिस हो, लक्ष्य ही निशाना  है | 

जहाँ चाह हो वहीँ राह है, नित बढ़ते जाना है |  

प्रिय श्याम नारायण जी ...सुन्दर रचना ...आह्वान और जोश भरी ..जय हिन्द

जय श्री राधे
भ्रमर ५

Comment by Shyam Narain Verma on August 26, 2013 at 5:52pm

आदरणीय पाण्डेय जी
प्रणाम ,
आपकी राय सदा ही सिरोधार्य है |
बहुत बहुत धन्यवाद
सादर ,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 10:59am

भाई गणेश जी के कहे के सापेक्ष मैं भी आग्रही हूँ.

सादर

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on August 17, 2013 at 12:11pm

Mukhtalif Rang Ke Khilte Hai Hase Phool Yanha,
Dosto ! Mulk Ko Gulzar Banaye Rakhna. !!

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on August 17, 2013 at 12:09pm

बहुत खुब श्‍याम जीाा बधाई

Comment by Vinita Shukla on August 16, 2013 at 2:35pm

देश के प्रति सुन्दर, प्रेरक उदगार. बधाई एवं साधुवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2013 at 10:34am

अति सुन्दर रचना , उत्साह जनक  !! बधाई श्याम भाई !!

Comment by D P Mathur on August 15, 2013 at 8:07am

आदरणीय वर्मा सर  प्रणाम , वीर जवानों से हमारी उम्मीदें बहुत ज्यादा होना स्वाभाविक है परन्तु हमारे जैसे ही कुछ लोग अपना कर्तव्य सही ढ़ंग से नही निभा रहे हैं जिसके सुधार की अति आवश्यक्ता है, आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको धन्यवाद!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 14, 2013 at 9:42pm

आ0 श्याम नारायण सर जी, सादर प्रणाम!//

जहाँ चाह हो वहीँ राह है, नित बढ़ते जाना है |  
मुसीबतों से ना घबराना, खार को हटाना है | //

                     भाव पूरित सुन्दर रचना। सादर,

Comment by annapurna bajpai on August 14, 2013 at 8:29pm

आ० हमारे वीर जवान तो ये सब जानते है इसीलिए शायद मर मिटते है बिना किसी चाहत के, हाँ उन वीर जवानों को टहे दिल से सलाम करते हैं जिनकी वजह से हम महफूज़ रहते  हैं । हमे उन सोते हुओं को जगाना है जिनके कान जूं तक न रेंगती है ।

आपकी रचना कबीले तारीफ है बहुत बधाई आपको ।

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