For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इंसान का कद

इंसान का कद इतना ऊँचा होगया

कि इंसानियत उसमें अब दिखती नहीं

दिल इतना छोटा होगया कि

भावनाएं उसमें टिक पाती नहीं

जिन्दगी कागज़ के फूलों सी

सजी संवरी दिखती तो है

पर प्रेम प्यार और संवेदनाओ

की कहीं खुशबू नहीं

चकाचौंध भरी दुनिया की इस भीड़ में

 इतना आगे निकल गया कि

अपनों के आँसू उसे अब दिखते नहीं

आसमां को छूने की जिद्द में

पैर ज़मी पर टिकते नहीं

सिवा अपने सब छोटे-छोटे

कीड़े मकोड़े से दिखते हैं उसे

कुचल कर उन्हें आगे बढ़ो

यही उसकी 

नियति बन गई अब 

ऐसा कद भी किस काम का

जिससे माँ का आँचल छोटा पड़ जाए

 पिता गर्व से उन

कंधों को थपथपा भी न सके

जिस पर बैठ , वह कभी बड़ा हुआ था

ऐसा कद भी किस काम का…?

 *****************

  महेश्वरी कनेरी

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 8:48pm

बहुत सुन्दर चित्रण .. बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 18, 2014 at 8:20pm

ऐसा कद भी किस काम का

जिससे माँ का आँचल छोटा पड़ जाए

 पिता गर्व से उन

कंधों को थपथपा भी न सके

जिस पर बैठ , वह कभी बड़ा हुआ था

ऐसा कद भी किस काम का…?

लाजवाब!

Comment by Maheshwari Kaneri on May 17, 2014 at 3:56pm

   उत्साहवर्धन के लिए आप सभी का आभार..

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 16, 2014 at 5:13pm

वर्तमान परिस्थिति का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने आदरणीया यथार्थ लिखा है बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2014 at 4:39pm

सुन्दर भाव रचित सार्थक रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी 

Comment by coontee mukerji on May 15, 2014 at 7:40pm

ऐसा कद भी किस काम का

जिससे माँ का आँचल छोटा पड़ जाए

 पिता गर्व से उन

कंधों को थपथपा भी न सके

जिस पर बैठ , वह कभी बड़ा हुआ था

ऐसा कद भी किस काम का…?.....एक सार्थक रचना.....समाज के उस दंभी वर्ग पर एक ज़ोरदार तमाचा. हार्दिक बधाई.महेश्वरी जी.

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 6:02pm

अंतर्मन की भावनाओं की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत  की है आपने आदरणीया - हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 15, 2014 at 5:37pm

आदरणीया महेश्वरी जी आपको इस रचना के कथ्य के लिये हार्दिक बधाई
सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 15, 2014 at 5:03pm

आदरणीया माहेश्वरी कनेरी जी 

यदि कोइ इंसान अपने को इतना ऊंचा समझने लगे की इंसानियत ही भुला दे और उसके कद के आगे माता पिता और भाव युक्त हृदय भी बहुत छोटे/तुच्छ हो जाएं ..तो निश्चय ही जीवन अपने सार्थक मायने खोने लगता है. इस सार्थक कथ्य को स्वर देने के लिए बधाई ....लेकिन आपसे प्रस्तुतियों में थोड़ी और मेहनत अवश्य ही अपेक्षित है 

शुभकामनाएं 

Comment by Shyam Narain Verma on May 15, 2014 at 3:23pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई ...............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
20 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
20 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service