For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सन्नाटा

एक

सन्नाटा
बुनता है
एक चादर
उदासी की
जिसे
ओढ कर
सो जाता हूं
चुपचाप
रोज
रात के इस
अंधेरे में

दो
अंधेरा
फुसफुसता है
लोरियां कान मे
रात भर
और दे जाता है
एक टोकरा नींद का
जिसे चुन लेते हैं
कुछ भयावह,
व ड़रावने सपने
बुनता है
जिन्हे
सन्नाटा
दिन के उजाले,
रात की चांदनी में

तीन

लिहाजा, चांद से
थोड़ी चांदनी
सूरज से
थोड़ी रोशनी
नोच कर
रख लूं
अपनी जेब मे
फिर नाचूं
प्रथ्वी और
आकाश में

मुकेश इलाहाबादी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 13, 2014 at 5:24pm

तीनों क्षणिकायें अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्ज करा रही हैं,  आदरंणीय मुकेश भाईजी. एकाकी जीवन के विवश पलों की वास्तविकताओं को कितनी शिद्दत से आपने प्रस्तुत किया है.  वाह वाह !
रात, रात का सन्नाटा, जिये जा रहे एकाकी पल, और त्राण पाने की छटपटाहट को इस विपुलता से सामने लाने के लिए हृदय से बधाई, आदरणीय !
सादर

Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 4:01pm

इस सार्थक प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई आदरणीय मुकेश जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 2, 2014 at 8:45pm

बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं 

अंधेरा
फुसफुसता है
लोरियां कान मे
रात भर
और दे जाता है
एक टोकरा नींद का........वाह 

हार्दिक बधाई आ० मुकेश श्रीवास्तव जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 30, 2014 at 11:24am

सुंदर प्रस्तुति , बधाई स्वीकारें आदरणीय मुकेश जी

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on April 29, 2014 at 7:07pm

Bahut bahut shukira Ramesh Chauhaan jee, Giriraj jee aur Meenaa Pathak jee is hauslaa aafzaae ke liye


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 29, 2014 at 5:37pm

वाह ॥ भाई मुकेश जी , बहुत सुन्दर , बधाइयाँ ॥

Comment by Meena Pathak on April 29, 2014 at 2:57pm

बहुत सुन्दर ..बधाई आ० मुकेश जी 

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 29, 2014 at 2:42pm

सुंदर प्रस्तुति आदरणीय मुकेशजी बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service