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चुनावी चौसर ! (चौपई छंद)

छिड़ी हुई शब्दों की जंग | दिखा रहे नेता जी रंग ||

वैचारिकता नंगधडंग | सुनकर हैरत जन-जन दंग ||

जाति धर्म के पुते सियार | इनपर कहना है बेकार ||

बात-बात पर दिल पर वार | जन मानस पर अत्याचार ||

 

पांच वर्ष में एक चुनाव | छोड़े मन पर कई प्रभाव ||

महँगाई भी देती घाव | डुबो रही है सबकी नाव ||

नारी दोहन अत्याचार | मिला नहीं अबतक उपचार ||

सरकारें करती उपकार | निर्धन फिरभी हैं बीमार ||

 

तीर तराजू औ तलवार | किसे कहें अब जिम्मेदार ||

चढ़ा देश को अजब बुखार | हर-हर घर-घर इक सरकार ||

फूल पत्तियाँ तीर-कमान |चौसर पर हैं कई निशान ||

मतदाता सारे हैरान | किसे करें अपना मतदान ||

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

 

-अशोक कुमार रक्ताले.

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2014 at 3:38pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर, छंद को हर दृष्टि से परख कर दी प्रतिक्रया मेरे रचना कर्म को बल देती है. सादर आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 24, 2014 at 3:37pm

 सामयिक विषय पर रचे चौपई छंद पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, आदरणीया अलका गुप्ता जी  व् आदरणीय जीतेंद्र 'गीत' जी आपका दिल से आभार.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 24, 2014 at 10:06am

सामयिक चुनावी माहौल पर बहुत सुंदर चौपाई रची आपने आदरणीय अशोक जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 23, 2014 at 8:00pm

किसे करें अपना मतदान 

राष्ट्र के भविष्य के लिए किसे मत दिया जाए. ? यक्ष प्रश्न. 

आदरणीय श्री अशोक जी 

सादर 

संक्षिप्त में देश के ज्वलंत प्रश्नों को पटल पर प्रस्तुत किया .ये आपकी लेखनी का कमाल है .

बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 23, 2014 at 7:49pm

वाह.. वाह... वाह ....बहुत ही शानदार चौपई छंद लिखा है शिल्प ,लय/ प्रवाह, शब्द संयोजन हर द्रष्टि से उत्कृष्ट प्रस्तुति ,बधाई आपको आ० अशोक रक्ताले जी. 

Comment by Alka Gupta on April 23, 2014 at 6:49pm

वाह्ह्हह्ह्ह्ह अति सुन्दर एवं भावपूर्ण ..........

Comment by Shyam Narain Verma on April 23, 2014 at 5:20pm
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....

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