For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ध्यान से देखो

वो पॉलीथीन जैसी रचना है

हल्की, पतली, पारदर्शी

 

पॉलीथीन में उपस्थित परमाणुओं की तरह

उस रचना के शब्द भी वही हैं

जो अत्यन्त विस्फोटक और ज्वलनशील वाक्यों में होते हैं

 

वो रचना

किसी बाजारू विचार को

घर घर तक पहुँचाने के लिए इस्तेमाल की जायेगी

 

उस पर बेअसर साबित होंगे आलोचना के अम्ल और क्षार

समय जैसा पारखी भी धोखा खा जाएगा

प्रकृति की सारी विनाशकारी शक्तियाँ मिलकर भी

उसे नष्ट नहीं कर सकेंगी

 

वो पॉलीथीन जैसी रचना

एक दिन कालजयी कचरा बन जाएगी

और सामाजिक पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाएगी 

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:58pm

बहुत बहुत धन्यवाद Akhand Gahmari जी

Comment by Akhand Gahmari on April 9, 2014 at 6:49pm

बेहतरीन रचना के लिए बहुत सी बधाई आपको

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 9, 2014 at 10:48am

बहुत बहुत शुक्रिया Baidyanath Saarthi जी

Comment by Saarthi Baidyanath on April 4, 2014 at 1:52pm

आदरणीय , आपकी विचारशीलता को नमन ! कल्पनाशीलता को नमन ! बेजोड़ सृजन !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 4, 2014 at 1:29pm

//पर लिखूँगा तो मैं वही जो मैं लिखना चाहता हूँ न कि जो पाठक पढ़ना चाहता है //

ग़ज़ब !

आदरणीय धर्मेन्द्रजी, आप कई बार ऐसी बातें करते हैं जिन्हें बार-बार आपसे सुनना इस मंच के लिए ही नहीं हिन्दी साहित्य के लिए आवश्यक है. हिन्दी भाषी समाज और आशान्वित होगा. 

आगे कुछ नहीं कहूँगा. बस आशा है कि आप ऐसा कहते रहें.

सादर

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:26am

बहुत बहुत शुक्रिया Saurabh Pandey जी। ये रचना ही ऐसी है कि विज्ञान के टर्म्स के बिना जो मैं कहना चाह रहा हूँ वो कह नहीं पाऊँगा। पाठक तक अगर रचना नहीं पहुँच पाती तो ये मेरी मजबूरी है। पर लिखूँगा तो मैं वही जो मैं लिखना चाहता हूँ न कि जो पाठक पढ़ना चाहता है :)।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:21am

बहुत बहुत शुक्रिया विजय मिश्र जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:21am

बहुत बहुत धन्यवाद Dr Ashutosh Mishra जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 3:16am

विशेष मंशा के वशीभूत सुगढ़ शिल्प के आवरण में प्रस्तुत की गयी रचनाओं पर उठी आपकी उंगली अत्यंत तोषकारी लगी.
यह अवश्य है कि विज्ञान के टर्म्स इस रचना को विशिष्ट बना दे रहे हैं, जिस कारण अन्य विषय से प्रशिक्षित पाठक स्वयं को असहाय देख रहे होंगे. 

Comment by विजय मिश्र on March 26, 2014 at 4:51pm
आज के साहित्यिक प्रदूषण पर उचित सोच ,भाषा और भाव से अधिक आजका रचनाकार प्रभावी है |स्पष्ट अभिव्यक्ति केलिए बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छी कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।  दुर्वयस्न को दुर्व्यसन…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service