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मध्य मार्ग : कविता : नीरज कुमार नीर

आज सुबह से ही ठहरा हुआ है,
कुहरा भरा वक्त.
न जाने क्यों,
बीते पल को
याद करता.
डायरी के पलटते पन्ने सा,
कुछ अपूर्ण पंक्तियाँ,
कुछ अधूरे ख्वाब,
गवाक्ष से झांकता पीपल,
कुछ ज्यादा ही सघन लग रहा है.
नहीं उड़े है विहग कुल
भोजन की तलाश में.
कर रहे वहीँ कलरव,
मानो देखना चाहते हैं,
सिद्धार्थ को बुद्ध बनते हुए.
बुने हुए स्वेटर से
पकड़कर ऊन का एक छोर
खींच रहा हूँ,
बना रहा हूँ स्वेटर को
वापस ऊन का गोला.
बादल उतर आया है,
घर के दरवाजे पर
मुझे बिठा कर परों पर अपने
ले जाना चाहता है.
एक ऐसी दुनिया में
जहाँ
प्रकाश ही प्रकाश है
जहाँ बादल छांव देता है
अंधियारा नहीं करता.
बगल की दरगाह से
लोबान की महक का
तेज भभका
नाक में घुसकर
वापस ला पटकता है
कमरे की चाहरदीवारी के भीतर ..
दीवार पर टंगी है
तुम्हारी एक पुरानी तस्वीर
जो आज भी लरजती है ख़ुशी से
हाथों में पकड़े मेरा हाथ .
नहीं यशोधरा, मैं नहीं करूँगा
निष्क्रमण.
मैं बढूँगा अंतर्यात्रा पर
पकड़े हुए तुम्हारा हाथ.
मैंने चुना है अरण्य एवं लावण्य के बीच
एक मध्य मार्ग .
.. नीरज कुमार नीर

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Comment

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Comment by Neeraj Neer on March 14, 2014 at 7:45pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी .. आपका कुछ नहीं कहना बहुत कुछ कह गया .. अनेकानेक धन्यवाद . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 14, 2014 at 7:38pm

आज आ पाया आपकी इस रचना पर. कहना बहुत कुछ चाहता हूँ. लेकिन आवश्यकता है भी क्या ? बहुत-बहुत बधाई ऐसी वैचारिकता को शब्दबद्ध करने के लिए. 

Comment by Neeraj Neer on March 5, 2014 at 8:53am

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी .. आपका आभार व्यक्त करता हूँ , आपका इस रचना पर आना और आपकी यह टिप्पणी रचना को सार्थक कर गयी .. और मुझे तुष्ट ... प्रोत्साहित अनुभव कर रहा हूँ .. आपके  समर्थन एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी हूँ .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 1:13pm

आपकी रचनाओं की भावदशा/अंतर्धारा बहुत प्रभावित करती है 

..मैं बढूँगा अंतर्यात्रा पर 
पकड़े हुए तुम्हारा हाथ.
मैंने चुना है अरण्य एवं लावण्य के बीच 
एक मध्य मार्ग .....................................संतुलन बनाते चलने में, डगमगाते लड़खडाते सीखते सम्हलते चलने में अंतर्यात्रा की खूबसूरती व आनंद सन्निहित है. अंतर्भावों की, गहन चिंतन मनन से निस्सृत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by Neeraj Neer on February 25, 2014 at 9:04am

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी आपका हार्दिक आभार, आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित महसूस कर रहा हूँ ..  

Comment by Neeraj Neer on February 25, 2014 at 9:03am

आदरणीय जीतेन्द्र गीत साहब आपका हार्दिक आभार ..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2014 at 7:49pm

बहुत ही सम्बेदंशील, गहन बिचारों से ओतप्रोत शानदार रचना ..मेरी तरफ से तहे दिल बधाई ..सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 23, 2014 at 8:35am

बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by Neeraj Neer on February 22, 2014 at 5:51pm

आ. भाई शिरोमणि पाठक जी सादर धन्यवाद. 

Comment by Neeraj Neer on February 22, 2014 at 5:50pm

आपका आभार आ. श्याम नारायण वर्मा जी 

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