For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वसंत

 

बीता कटु शीत शिशिर 

मोहक  वसंत आया

 

पुष्प खिले वृन्तो पर

मुस्काये हर डाली

मादक महक चहुँ दिशा

भरमाये मन आली

तरुण हुई धूप खिली

शीत का अंत आया

बीता कटु शीत शिशिर 

मोहक  वसंत आया

 

प्रिया की सांसों सी

मद भरा ऊषा अनिल  

अंग अंग उमंग रस

जग लगे मधुर स्वप्निल

कुहूक  बोले कोयल

कवि नवल छंद गाया

बीता कटु शीत शिशिर 

मोहक  वसंत आया ..

 

 

आम्र वृक्ष स्वर्ण मौर

महुआ  रस टपकाया

देखूं दृश्य अनिमेष

किसने चित्र बनाया

अभिसार पूरित  ह्रदय

जग प्रेम दिगंत छाया

बीता कटु शीत शिशिर 

मोहक  वसंत आया .

 

त्याग शर्म अवगुंठन

दे रही प्रणय  निमंत्रण

वृक्ष लता लिपटाया 

नगर नगर हर उपवन 

हर कोने   में वसुधा

के हर्ष अनंत छाया

बीता कटु शीत शिशिर 

मोहक  वसंत आया .

..... नीरज कुमार नीर  

 

 मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on March 23, 2014 at 8:30am

बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी आपकी सराहना ने मन प्रफुल्लित कर दिया .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 11:36pm

गीत विधा पर पर एक गंभीर प्रयास के लिए हृदय से बधाई नीरज नीर भाई.
आपने वासंतिक वातावरण को अपनी प्रस्तुति के माध्यम से आच्छादित करने का सुन्दर प्रयास किया है. हाँ, पंक्तियों में शब्द-संयोजन शब्दों के भार तले आ गया प्रतीत हो रहा है. वैसे ढेर सारी बधाई आपको कि इस तरह आपका कोई प्रयास पहली बार देख रहा हूँ. बहुत खूब !
शुभेच्छाएँ

Comment by Neeraj Neer on March 1, 2014 at 8:59pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय अन्नपूर्णा जी .. 

Comment by annapurna bajpai on March 1, 2014 at 1:31pm

सुंदर गीत हेतु बधाई स्वीकारें , आ0 नीरज ' नीर ' जी । 

Comment by Neeraj Neer on February 26, 2014 at 8:51am

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब आपका हार्दिक धन्यवाद महोदय .. 

Comment by Neeraj Neer on February 26, 2014 at 8:51am

आभार आदरणीया कल्पना रामानी साहिबा .. सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए ह्रदय ताल से धन्यवाद .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 25, 2014 at 11:16pm

आदरणीय नीरज भाई , सुन्दर बसंत गीत की रचना के लिये बधाइयाँ ॥

Comment by कल्पना रामानी on February 25, 2014 at 10:57pm

बसंत का सुंदर वर्णन किया है आपने आदरणीय नीरज जी, हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service