For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल... क्यों लगे शह्र जैसे खजाना हुआ -- "राज “

212    212    212    212

गाँव से दूर जब से ठिकाना हुआ

बंदिशे काम उसका बहाना हुआ

 

आस में मुन्तज़िर आँखें दर पे टिकी

उसकी सूरत  को देखे ज़माना हुआ

 

गोद में खेल जिसकी पला था कभी

गाँव वो आज कैसे बेगाना  हुआ

 

जानते हैं सभी कबसे बदली नजर

जब से गैरों के घर आना जाना हुआ

 

जो झुलाता तुझे प्यार से डाल पर

वो शज़र देख कितना पुराना हुआ

 

गाँव में क्या नहीं था तेरे वास्ते

क्यों लगे शह्र जैसे खजाना हुआ

 

जल गया है तेरे गाँव का नीड़ वो

बस इसी खब्र से ही बुलाना हुआ

 

सोच तुझको मिला क्या यहाँ से निकल

बस सुकूने दिलों का  मिटाना हुआ

******************************

 मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 1, 2014 at 9:18pm

जो झुलाता तुझे प्यार से डाल पर

वो शज़र देख कितना पुराना हुआ

 

गाँव में क्या नहीं था तेरे वास्ते

क्यों लगे शह्र जैसे खजाना हुआ..आदरणीया राजेश जी आपकी इस बेहतरीन ग़ज़ल के ये दो शेर मुझे बेहद पसंद आये ..तहे दिल बधाई के साथ सादर 

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:07pm

 

जानते हैं सभी कबसे बदली नजर

जब से गैरों के घर आना जाना हुआ

 

जो झुलाता तुझे प्यार से डाल पर

वो शज़र देख कितना पुराना हुआ

वाह आदरनीय राजेश जी बहुत सुन्दर 

Comment by बृजेश नीरज on February 1, 2014 at 8:04pm

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

सादर!

Comment by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 7:02pm

आ0 राजेश कुमारी जी बहुत सुंदर तरही गजल हुई है बधाई आपको । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2014 at 6:28pm

आ० गिरिराज जी, ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया मिली आपका तहे दिल से आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 6:18pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , बहुत  सुन्दर तरही ग़ज़ल कही है , आपको ढेरों बधाइयाँ ॥

गाँव में क्या नहीं था तेरे वास्ते

क्यों लगे शह्र जैसे खजाना हुआ - -- वाह , क्या बात है , बहुत खूब !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2014 at 11:15am

बैद्यनाथ सारथि जी ग़ज़ल ,उसके अशआर आपको प्रभावित किये तहे दिल से आभारी हूँ ,तारीफ़ के लिए बहुत- बहुत शुक्रिया. 

Comment by Saarthi Baidyanath on February 1, 2014 at 10:39am

बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीया ...एक एक शेर काबिले तारीफ़ !

जो झुलाता तुझे प्यार से डाल पर

वो शज़र देख कितना पुराना हुआ...! बचपन की याद दिला दी आपने !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2014 at 9:49am

शिज्जू भाई तहे दिल से आभार आपका ...आपके आलावा आ० पवन जी ने भी खब्र शब्द पर टोका है अब तो मुझे भी संशय हो गया दरसल मैंने कई ग़ज़लों में एवं आलेख में ये शब्द देखा था सो सोचा खब्र हो सकता है उर्दू जबान में होता हो ...किन्तु आप भी संशय कर रहे हैं तो सही ही होगा आ० वीनस जी की राय लेकर इस शब्द को बदल दूंगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 1, 2014 at 9:46am

प्रिय प्राची जी बहुत- बहुत शुक्रिया ग़ज़ल आपको अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service