For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनिया में जितना पानी है

उसमें

आदमी के पसीने का योगदान है

 

गंध भी होती है पसीने में

 

हाथ की लकीरों की तरह

हर व्यक्ति अलग होता है गंध में

फिर भी उस गंध में

एक अंश समान होता है

जिसे सूँघकर

आदमी को पहचान लेता है

जानवर

 

धीरे-धीरे कम हो रही है

यह गंध

कम हो रहा है पसीना

और धरती पर पानी भी  

-  बृजेश नीरज 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 8:17pm

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!

आपके कहे से सहमत हूँ! यह गलती शायद मुझसे पोस्ट करते समय हुई. मूल कविता में 'भी' का प्रयोग मैंने किया था. खैर, गलती तो गलती. इसे अब सुधार लेता हूँ!

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2014 at 5:22pm

भाई ब्रुजेशजी, आपकी इस मक़बूल कविता पर अब आ पाया हूँ. खेद है. लेकिन एक-एक कर ब्लॉग की रचनाओं पर आ रहा था.

इसकी मकबूलियत के कारण अब इस रचना पर कुछ कहना मुनासिब नहीं होगा. सिवा इसके कि बहुत-बहुत बधाई स्वीकारिये. साथ ही, भावनाओं ही नहीं बल्कि तार्किक रूप से वैचारिक रचनाओं का निर्वहन करते रहिये, जैसा कि आप करते भी हैं.
ऐसा मैंने इसलिये कहा है कि, दुनिया में जितना पानी है /उसमें /आदमी के पसीने का योगदान है  कहने से एक विचित्र भ्रम उत्पन्न होता है. क्या आदमी का वज़ूद पानी से पुराना है ! आप भी जानते हैं कि ऐसा नहीं है.  तो, पसीने का भी योगदान कहने से इस भ्रम का निवारण हो सकता है.

वैसे पूरी कविता अपने बिम्ब और भावप्रधान इंगितों के कारण अवश्य पठनीय हो गयी है.   
शुभेच्छाएँ.

Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 7:37pm

आदरणीय विजय जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by विजय मिश्र on January 30, 2014 at 1:18pm
श्रम की संस्कृति और प्रकृति के समन्वय पर सुंदर प्रकाश अपना सुगंध लिए हुए |बधाई नीरजजी |
Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 11:21am

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!

रचना को आपके अनुमोदन से आत्म-बल में वृद्धि हुई है!

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 11:19am

आदरणीय अरुण भाई आपका हार्दिक आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 30, 2014 at 11:10am

इंसानी पसीने के पीछे जज्बे, और उसकी गंध की विलगता फिर भी समानता पर कितनी सूक्ष्मता से महसूस कर यह अभिव्यक्ति हुई है.. और उसे भूगर्भ के जल के समान घटता दर्शा बहुत सुदृढ़ विस्तार या आधार दिया है आपने... बहुत सुन्दर 

धरा पर पानी के साथ ही आँख का पानी भी घटता महसूस होता है...मानवता में.

इस सुन्दर प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आ० बृजेश जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2014 at 10:51am

आदरणीय बृजेश भाई जी वाह गागर में सागर भर दिया आपने बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ समाहित कर दिया आपने मर्मस्पर्शी रचना बहुत बहुत बधाई आपको.

Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 10:56am

आदरणीया जितेन्द्र जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on January 29, 2014 at 10:56am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service