For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बद से बदतर हाल है, नाजुक हैं हालात ।
बोझिल लगती जिंदगी, पल पल तुम पश्चात ।१।

बरसी हैं कठिनाइयाँ, उलझें हैं हालात ।
हर पल भीतर देह में, जख्म करें उत्पात ।२।

दिन काटे कटते नहीं, मुश्किल बीतें रात ।
होता है आठों पहर, यादों का हिमपात ।३।

रूठी रूठी भोर है, बदली बदली रात ।
दरवाजे पर सांझ के, पीड़ा है तैनात ।४।

आती जब भी याद है, बीते दिन की बात ।
धीरे धीरे दर्द का, बढ़ता है अनुपात ।५।

व्याकुल मन की हर दशा, लिखते हैं हर बात ।
प्रीतम संबंधी सखा, कागज़ कलम दवात ।६।

अधरों की रूठी हँसी, हिस्से आई मात ।
सावन देती हैं हरा, नैनों की बरसात ।७।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 9:19pm

अधरों की रूठी हँसी, हिस्से आई मात ।
सावन देती हैं हरा, नैनों की बरसात

बहुत बढ़िया 

बधाई 

सस्नेह 

Comment by Meena Pathak on January 31, 2014 at 4:45pm

बहुत सुन्दर ..हृदयस्पर्शी दोहे ...बहुत बहुत बधाई प्रिय अरुन जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2014 at 3:54pm

वाह.. दोहे तो सधे हुए हैं .. तनिक और साधिये.. बहुत-बहुत बधाई भाई..

और काग़ज़ कलम दवात सुनने में तो बड़े अच्छे लगते हैं..

लेकिन हमें .. हम सबको कितने वर्ष हुए इन्हें हाथों से छुए हुए .. कुछ याद भी है .. :-)))

चला गया जो दौर वो, रह-रह करता हौण्ट ..

कागज मोनीटर हुए, अक्षर सारे फ़ॉण्ट .. .. 

:-))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2014 at 3:43pm

विछोह के दर्द को बहुत मर्मस्पर्शी दोहों में ढाला गया है 

शुभकामनाएं प्रिय भाई अरुण जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 27, 2014 at 10:35am

अजय भाई दोहे आपको पसंद आये सार्थक हुए बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्नेह बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 27, 2014 at 10:34am

हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अजय कुमार सिंह on January 26, 2014 at 2:27am

आती जब भी याद है, बीते दिन की बात ।
धीरे धीरे दर्द का, बढ़ता है अनुपात ||

व्याकुल मन की हर दशा, लिखते हैं हर बात ।
प्रीतम संबंधी सखा, कागज़ कलम दवात ||

भावप्रधान दोहावली के हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय.

Comment by annapurna bajpai on January 25, 2014 at 10:33am

वाह !! प्रिय अरुण बहुत सुंदर दोहावली बधाई । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 11:04am

आदरणीय गिरिराज सर बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने इंगित किया है उसपर विचार करता हूँ स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 10:47am

आदरणीय अखिलेश सर दोहे आपको पसंद आये संतोष हुआ, जैसा आपने कहा उस पर विचार करके मैंने यह लिखा था हो सकता है मैं गलत हूँ सुधारने का प्रयास करता हूँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का यह लिहाज इसलिए पसंद नहीं आया कि यह रचना आपकी प्रिया विधा…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी कुण्डलिया छंद की विषयवस्तु रोचक ही नहीं, व्यापक भी है. यह आयुबोध अक्सर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service