For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औरत और नदी

………

औरत जब करती है

अपने अस्तित्व की तलाश और

बनाना चाहती है

अपनी स्वतंत्र राह -

पर्वत  से बाहर

उतरकर

समतल मैदानों में .

उसकी यात्रा शुरू होती है

पत्थरों के बीच से

दुराग्रही पत्थरों को काटकर

वह बनाती है घाटियाँ

आगे बढ़ने के लिए

पर्वत उसे रखना चाहता है कैद

अपनी बलिष्ठ भुजाओं में

पहना कर अपने अभिमान की बेड़ियाँ,

खड़े करता है,

कदम दर कदम अवरोध .

उफनती , फुफकारती , लहराती

अवरोधों को जब मिटाती है औरत

कहलाती है उच्छृन्खल.

औरत जब तोड़ती है तटबंध

करती है विस्तार

अपने पाटों का 

अपने आस पास के परिवेश को

बना देती है उर्वरा

चारो और खिल उठता है नया जीवन

वह बन जाती है पूजनीया

कहलाती है गंगा ..

... नीरज कुमार नीर ..

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on January 21, 2014 at 8:15pm

आदरणीया कविता सिन्हा गुप्ता जी .. किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ ... आपका हार्दिक धन्यवाद ..

Comment by Neeraj Neer on January 21, 2014 at 8:14pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी बहुत धन्यवाद आपका ..

Comment by kavita sinha gupta on January 21, 2014 at 7:46pm

aapki sanvedanshilta per mai bhavvibhor hu.koi purush stri man ki vivechana is prakar karega,mai to achambhit hu.sadhuvad.ati sunder aur sargarbhit kavita

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 5:56pm

वाह !! अति सुंदर रचना , पढ़ने के बाद स्वतः ही निकल पड़ा । आ0 नीरज जी । बहुत बधाई आपको । 

Comment by Neeraj Neer on January 16, 2014 at 10:00am

हार्दिक आभार ..आ. जवाहर जी 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 15, 2014 at 8:49pm

बहुत ही सुन्दर!

Comment by Neeraj Neer on January 15, 2014 at 9:25am

आदरणीय सौरभ जी आपकी बधाई सर आँखों पर ..

Comment by Neeraj Neer on January 15, 2014 at 9:24am

आ. राम शिरोमणि पाठक जी आपका हार्दिक आभार .

Comment by Neeraj Neer on January 15, 2014 at 8:41am

हार्दिक अआभर आदरणीया सारिका चौधरी जी 

Comment by Neeraj Neer on January 15, 2014 at 8:40am

बहुत आभार आपका डॉ आशुतोष मिश्र जी ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service