For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साहेबान, मुहब्बत भी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत पहलू है. पेश है इसी रंग की एक  ग़ज़ल....

अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत

तराना दिलों का बनाएं मुहब्बत
चलो साथ में गुनगुनाएं मुहब्बत

मयस्सर नहीं है ये शै हर किसी को
कि महफ़ूज़ रखें, बचाएं मुहब्बत

मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत

मुहब्बत तिजारत बनाएं तो ऐसी
मुहब्बत के बदले दिलाएं मुहब्बत

तुम्ही ज़िक्र छेड़ो, तुम्हे याद होगा
हमें याद आए, सुनाएं मुहब्बत

हर इक दौर की ये ज़रूरत है शाहिद
विरासत चलो छोड़ जाएं मुहब्बत

शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिगंबर नासवा on January 25, 2011 at 10:14pm
Shahid Bhai ... badhaai is khoobsoorat gazal par ... har sher lajawaab hai ... muhabbat ki daastaan kah raha hai ...
Comment by Abhinav Arun on January 25, 2011 at 11:27am

वाह वाह शाहिद भाई क्या बात है बहुत खूब __

"अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत "

खूबसूरत गज़ल के लिये मुबारकवाद |

Comment by Anjana Dayal de Prewitt on January 24, 2011 at 7:59pm

अजायबघरों में सजाएं मुहब्बत
कहीं से चलो ढूंढ लाएं मुहब्बत

 

मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत

 

तुम्ही ज़िक्र छेड़ो, तुम्हे याद होगा
हमें याद आए, सुनाएं मुहब्बत

 

वाह!!! बेहतरीन ग़ज़ल!

Comment by विवेक मिश्र on January 24, 2011 at 7:48pm
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक शुभकामनायें..
Comment by shikha kaushik on January 24, 2011 at 1:06pm
सार्थक प्रस्तुति.बधाई .
Comment by Rajendra Swarnkar on January 24, 2011 at 12:03pm

तुम्हारी ग़ज़ल जबसे शाहिद पढ़ी है

ये दिल कह रहा- आज़माएं मुहब्बत 

 

शाहिद जी, शानदार ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !

हर शे'र नगीना है … वाह वाऽऽऽह ! 

Comment by Tilak Raj Kapoor on January 24, 2011 at 11:41am

ग़ज़ल आपकी ये पढ़ी तो लगा क्‍यूँ,

शहद से ग़ज़ल में भरी है मुहब्‍बत।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 24, 2011 at 9:01am
मिले क़तरा-क़तरा चलो हम संजो लें
मिलाकर समंदर बनाएं मुहब्बत......वाह वाह , शाहिद साहिब , बेहद खुबसूरत ग़ज़ल कही है , कोट किये गये शे'र  मेरे ज्यादा नजदीक लगा , काफियाबंदी इस ग़ज़ल की जान लगी , बस आराम से गुनगुनाते रहिये | 
इस मखमली ग़ज़ल हेतु बधाई कुबूल कीजिये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"1212    1122    1212    22 /  112 कि मर गए कहीं अहसास…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय भाई , आपका बहुत शुक्रिया "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीया रिचा जी आपका बहुत आभार "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"तरही ग़ज़ल  का आयोजन जो पहले  १०० - २००  पेज  तक पहुँच जाता था उसका  ८ -१०…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरर्नीय नीलेश भाई , आपने वो सब कुछ कह दिया जो मेरे मन में  थी , आपसे सहमत होते हुए एक…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service