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साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक (ग़ज़ल "राज")

२१२२   २१२२  २१२२  २

जब तलक पँहुचे लहर अपने मुहाने तक
साथ क्या दोगे मेरा तुम उस ठिकाने तक

हीर राँझे की कहानी हो  बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक

प्यार का सैलाब जाने कब बहा लाया
हम सदा डरते रहे आँसू बहाने तक

थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक

क्यों करें परवाह हम अब इस ज़माने की
हर कदम पे जो मिला बस दिल दुखाने तक  

छोड़ दी किश्ती भँवर में देख साथी रे
जिंदगी गुजरे फ़कत अब इक फ़साने तक

तू मेरा महबूब अब ये जिंदगी तेरी
खूब गुजरेगी ख़ुदा के पास जाने तक
********************************

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by गिरिराज भंडारी on December 7, 2013 at 10:53pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , बहुत शानदार , जानदार गज़ल कही है !!!! सभी शे र बढ़िया हुये है !!!! आपको हार्दिक बधाई !!!

हीर राँझे की कहानी हो  बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक------- बेहतरीन शे र - ढेरों दाद   !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2013 at 10:16pm

प्रिय अरुन शर्मा आपको ग़ज़ल उसके भाव प्रभावित कर सके मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2013 at 10:14pm

आदरणीया कुंती जी ग़ज़ल की तह तक पंहुच कर दी गई प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2013 at 10:13pm

आदरणीया मीना पाठक जी ग़ज़ल के भाव को महसूस कर  दी गई प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2013 at 10:12pm

प्रवीण मालिक जी, आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से आभार आपका. 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 6:00pm

वाह वाह आदरणीया बेहद शानदार मतला हुआ है पूरी ग़ज़ल खूबसूरती से लबरेज है बहुत बहुत बधाई आपको खासकर ये शेर अधिक पसंद आये इनके लिए विशेष दाद कुबूलें.

हीर राँझे की कहानी हो  बसी जिसमे
ले चलोगे क्या मुझे तुम उस जमाने तक.. उम्दा उम्दा

थी बहुत मासूम अपने प्यार की मिटटी
दर्द ही बोते रहे अपने बेगाने तक ... वाह वाह

Comment by coontee mukerji on December 7, 2013 at 3:48pm

बहुत सुंदर गज़ल. एक फूल माला की तरह जिससे तीनों कालों की खूशबू आ रही है.शुभकामनाएँ सहित

सादर

कुंती.

Comment by Meena Pathak on December 7, 2013 at 2:00pm

क्या बात है आ० राजेश कुमारी जी, आनंद आ गया पढ़ कर | तहेदिल से बधाई 

Comment by Parveen Malik on December 7, 2013 at 11:12am
राजेश कुमारी जी बहुत खूबसूरत गजल ... बधाई !

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