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माँ की बेटी को सलाह [ दोहावली ]

लक्ष्मी है तू गेह की, तू मेरा सम्मान
सबको देना मान तू ,भाई पिता समान /


बेटी है तो क्या हुआ तू है घर की लाज
हमारा तू गुरूर है, मेरी तू आवाज /


बनना मत तू दामिनी,सहकर अत्याचार
लेना दुर्गा रूप तू ,करना तू संहार /

मत घबराना तू कभी, जो हो जग बेदर्द
तू है दुर्गा कालिका ,मत सहना तू दर्द /


जिसका तुझसे हो भला,उसके आना काम
अबला नारी जो दिखे ,उसको लेना थाम /

..............मौलिक व अप्रकाशित .......

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on December 3, 2013 at 7:28pm

हार्दिक आभार भाई राम जी 

Comment by ram shiromani pathak on December 3, 2013 at 12:01am

सुन्दर प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया । … सादर 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:52pm

हार्दिक आभार जितेंदर जी 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:52pm

शुक्रिया अरुण स्नेहिल मार्गदशन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:51pm

भाई विजय जी हार्दिक अभिनन्दन ,स्नेह बनाए रखें 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:50pm

आदरणीय अखिलेश जी शुक्रिया दोहावली पसंद आई 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:49pm

शुक्रिया राजेश जी 

Comment by Sarita Bhatia on December 2, 2013 at 8:48pm

शुक्रिया गिरिराज जी हार्दिक आभार मार्गदर्शन के लिए 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 2, 2013 at 8:09pm

सुंदर दोहावली, हर एक दोहा सार्थक सन्देश देता हुआ, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2013 at 5:48pm

आदरणीया बहुत ही उत्तम दोहावली रची है आपने सुन्दर संदेशप्रद कुछ दोहे और अधिक सुन्दर हो सकते थे. बहरहाल इस सुन्दर दोहावली पर हार्दिक बधाई स्वीकारें

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