For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी सोच में कभी डूब के जो लिखा न हो औ कहा न हो

वो ग़ज़ल है क्या और वो गीत क्या किसी दिल को जिसने छुआ न हो

 

मेरी शाईरी में है जो निहाँ मेरे हर्फ़ में वो रवाँ रवाँ

मेरी है दुआ उसी रब से के कहूँ जब मैं कोई खफा न हो

 

ज़रा पूछिए किसी आदमी से छुआ है कैसे ये आसमाँ

क्या सफ़र में फर्श से अर्श के कोई है वो जो कि गिरा न हो

 

कहे माँ कहीं मिलें गर्दिशें तो खुदा दिखाता है रास्ता

इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग ले के खडा न हो

 

हुआ “दीप” तू भी तो मतलबी बिना काम के तू भी कब मिला

कोई बात ऐसी करी नहीं छुपा जिसमें कोई नफा न हो

संदीप पटेल "दीप"

 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 8, 2013 at 9:49am

आदरणीय विजय सर जी, आदरणीय अरुण भाई साहब, आदरणीय सूबे सिंह जी, आदरणीय राजेश सर जी .....आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद स्नेह और मार्गदर्शन बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 8, 2013 at 9:47am

आदरणीय सम्पादक महोदय जी सादर प्रणाम

आप से निवेदन है की आप मेरी ग़ज़ल के मतले को इस प्रकार बदलने की कृपा करें

किसी सोच में कभी डूब के जो लिखा न हो व कहा न हो

वो ग़ज़ल है क्या कि  वो गीत क्या किसी दिल को जिसने छुआ न हो

सादर प्रार्थी /////

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 8, 2013 at 9:45am

आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम

सत्य कहा आपने सर जी ........मैं संशय में था इसीलिए त्रुटी हुई है

आपके मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से धन्यवाद स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये

//लेकिन मेरे कहे से बेहतर आप सोच लेते हैं, यह मैं जानता हूँ.// आदरणीय ये सब आप अग्रजों का स्नेह और आशीर्वाद है फिर भी अभी इतनी कूबत नहीं है की आप से बेहतर सोच लूँ

स्नेह बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 11:27pm

मुझे मतले के सानी में और से परेशानी हुई है, भाईजी. और किसी सूरत में एक मात्रिक नहीं हो सकता. इसके लिए एक प्रचलित स्थानापन्न या ऑप्शन है. जो कि मतले के उला  का स्थान ले सकता है. लेकिन यही सानी में और के स्थान पर उचित नहीं लग रहा. उस जगह कि का प्रयोग शायद उचित हो.  लेकिन मेरे कहे से बेहतर आप सोच लेते हैं, यह मैं जानता हूँ.

अन्य अश’आर के लिए बस वाह वाह वाह ! 

शुभेच्छाएँ

Comment by सूबे सिंह सुजान on December 2, 2013 at 9:55pm

वाह..........क्या आपने तरह मुशायरे में जिसे प्रयुक्त किया वही ग़ज़ल यहां पोस्ट की है क्या।

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:45am

जय हो, आदरणीय, बड़ी अच्‍छी लगी आपकी प्रस्‍तुति, सादर

Comment by vijay nikore on December 1, 2013 at 12:44pm

इस खूबसूरत गज़ल के लिए आपको बधाई, आदरणीय संदीप जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 1, 2013 at 12:32pm

आदरणीय संदीप भाई साहब वाह बहुत शानदार तरही ग़ज़ल पेश की है आपने सुन्दर अशआर शानदार ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2013 at 11:04am

आपका ह्रदय से आभार आदरणीया सरिता जी .........स्नेह यूँ ही बनाए रखिये

Comment by Sarita Bhatia on December 1, 2013 at 11:04am

बेहतरीन गजल संदीप जी वाह ,हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service