For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!

सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!

शांतिदीप घर घर जले ,समय तभी अनुकूल !
आपस में सौहार्द हो,कटुता जाओ भूल !!

ज्योतिपर्व की रात में ,तुम्हे समर्पित तात !
जीवन यूँ जगमग रहे ,दीपों की सौगात!!

मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप !
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!

मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!

ज्योतिपर्व फिर आ गया ,लेकर शुभ सन्देश !
अँधियारा न दिखे कहीं ,फूले फले स्वदेश !!

जगमग करता ही रहे ,यह प्यारा संसार !
अँधियारे को त्यागकर ,भरो ज्योति भण्डार !!
***********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 994

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 6:22pm

 बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया वंदना  जी ..... सादर  

Comment by vandana on November 13, 2013 at 6:48am

वाह !! आदरणीय राम शिरोमणि जी  सुन्दर दोहे 

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 1:05am

इस अमूल्य सुझाव  के  लिए  बहुत  बहुत  आभार आपका आदरणीय सौरभ  जी........।सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 11:06pm

सुन्दर दोहावलि प्रयास अच्छा लगा.

सटीक और सार्थक सुझाव मिलें हैं. अवश्य सोचें कि ऐसे सुधारों से रचनाकर्म में क्या अंतर आ जायेगा. 

बधाई

Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2013 at 8:24pm

बहुत बहुत आभार भाई सुशिल जोशी जि।सादर  

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 11:58am

वाह वाह.......  बेहद खूबसूरत दोहावली है आ0 राम भाई...... बाकी आ0 प्राची जी के विचारों से आपकी सहमति हमें आने वाले समय में और भी अधिक सुंदर प्रस्तुति पाने का सूचक है..... बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.....

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 10:34pm

यह तो आपकी महानता है भाई बृजेश जी। ....... सादर

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 8:03pm

मेरे कहे को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार भाई जी!

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 7:59pm

इस अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई बृजेश जी। .......सादर

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 7:58pm

"""प्रस्तुतियां यदि उपदेशात्मक की जगह आचरणात्मक रूप में प्रस्तुत हों तो ज्यादा प्रभावशाली होती हैं..""""

आप सर्वथा उचित कह रही है …मुझे भी ऐसा विचार आया लेकिन पोस्ट कर चुका था...........
आपके सुझाव से बहुत सुधार हो गया

आपका अनुमोदन पाकर आपार हर्ष हुआ। …और  इस अमूल्य  सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची  जी। .......सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service