For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आई दिवाली -- शुभकामनायें!!

अब तक तो सभी घरों मे रंग रोगन होकर नए तरीके से सभी के घर भी सज चुके है । जिन घरों मे रंग रोगन नहीं हुआ है वहाँ साफ सफाई होकर सज सज्जा के साथ घरों को लक्ष्मी जी के आगमन हेतु तैयार कर लिया गया है । इस दिवाली लक्ष्मी जी सभी के घरों को खुशियों से भर दें । सभी के मनों मे प्रेम, सौहार्द्य एवं सच्चाई का उजाला भर दें ।कहा जाता है कि दीपावली कि रात्री मे विष्णु प्रिया श्री लक्ष्मी सदगृहस्थों के घर मे प्रवेश कर यह देखती है कि हमारे निवास योग्य घर कौन से है ? और जहां कहीं भी उन्हे निवास की अनुकूलता दिखाई देती है , वह वहीं रम जाती हैं । अतएव आज के दिन मनुष्यों को अपना घर ऐसा बनाना चाहिए जो भगवती लक्ष्मी के मनोनुकूल हो । इसलिए मानुषों मे यह होड रहती है कि किसका घर देवी लक्ष्मी के अनुकूल बने और लक्ष्मी वहीं आ पधारें और वहाँ से अन्यत्र कहीं जाने का भी नाम न लें । भगवती लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं को जुटा कर पूजन करना चाहिए । उनको  सबसे अधिक प्रिय है स्वच्छ घर और प्रसन्न वातावरण , इसके अभाव मे वे प्रभु श्री विष्णु का भी परित्याग कर देती है । एक बार देवी रुक्मिणी के द्वारा  उनसे पूछने पर कि हे देवि ! आप किन स्थानों पर रहती है और किन पर कृपा कर उन्हे अनुगृहीत करती है ? तब स्वयम देवी जी उन्हे यह बताती है :-

 

* वसामि नित्यं सुभगे प्रगल्ल्भे

      दक्षे  नरे कर्मणि वर्तमाने ।

अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे

       जितेंद्रिय नित्यमुदीर्णसत्त्वे ॥ 1॥

स्वधर्मशीलेषु च धर्मवित्सु

       वृद्धोपसेवानिरते च दान्ते ।

कृतात्मनि क्षांतिपरे समर्थे

        क्षान्तासु दान्तसु तथा बलासु ॥ 2 ॥

वसामि नारीसु पतिव्रतासु

        कल्याणशीलाषु विभूषितासु ॥ 3 ॥ ( * तीनों श्लोक महाभारत से उद्धृत )

अर्थात मै उन पौरुषों के घरों मे सतत निवास करती हूँ जो सौभाग्य शाली , निर्भीक , सच्चरित्र , कर्त्तव्य पारायण है । जो अक्रोधी , भक्त , कृतज्ञ , जितेंद्रिय , सत्व सम्पन्न होते है , जो स्वभावतः निज धर्म , कर्तव्य, सदाचार मे सतर्कता पूर्वक रत  रहते है सपुरुषों , गुरुजनों , वृद्ध जनो की सेवा मे निरत रहते है । जो सदा मन को वश मे रखने वाले क्षमा शील , जिनको देख सभी का हृदय प्रसन्न हो जाता है । जो शीलवती , सौभाग्यवती , गुणवती , पतिपरायणा , सबका मंगल चाहने वाली नारियां है उन सबका गृह त्याग कर कभी नहीं जाती ।इसके विपरीत होने पर मै उस स्थान पर कभी नहीं टिकती जहां इन गुणों का अभाव रहता है । इस लिए इस दीपावली श्री लक्ष्मी माँ किसी का भी घर त्याग कर या कुपित होकर न  जाएँ , सभी के मनों मे व घरों मे चिर निवास बनाएँ । इस अभिलाषा के साथ मै यहाँ विराम देती हूँ ।

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

अन्नपूर्णा बाजपेई 

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on November 4, 2013 at 11:57am

आदरनीय शिजू जी , आ0 अभिनव अरुण जी , आ0 लड़ी वाला जी , आ0 अरुण निगम जी , आ0 रमेश जी आप सभी को दीपावली की शुभ कामनाएँ । 

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 3, 2013 at 11:14pm

आदरणीया दीपपर्व पर हार्दिक शुभकामना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 1:40pm

दीप पर्व पर उत्तम आलेख ने ह्रदय में पावनता भर दी...............

शुभ दीपावली...........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2013 at 10:44am

स्वच्छता और प्रसन्नता के साथ ही कर्तव्यपरायणता का सन्देश देती रचना के लिए बधाई 

Comment by Abhinav Arun on November 3, 2013 at 4:31am

उत्तम रोचक ज्ञानवर्धक आलेख ! दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें आ. अन्नपूर्णा जी !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 3, 2013 at 12:10am

आदरणीया अन्नपूर्णाजी आपको भी दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service