मेरे प्रियवर .............
स्नेह सिक्त हृदय
तुम रहते प्राण बन
जीवन की अविरल धारा
तुम रहते अठखेलियाँ बन
तुम मेरे प्रियवर.............
मद युक्त नयन
तुम रहते काजल रेख बन
शीश पर चमकते
यों सिंदूरी रेख बन
तुम मेरे प्रियवर.....................
तुमसे ही है जीवन
हर शाम सिंदूरी
फूलों सा महके सिंगार
संग तुम्हारा अनुपम फुलवारी ॥
मेरे प्रियवर.................
.
अन्नपूर्णा बाजपेई
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 प्राची जी आपका हृदय तल से आभार ।
प्रिय को समर्पित सुकोमल भाव प्रस्तुति के लिए बढ़ाई आ० अन्नपूर्णा बाजपेई जी
प्रिय के प्रति प्रेम में भावविभोर एवं समर्पण से महकती सराहनीय रचना !!!!
आदरणीय शकूर जी आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय बैद्य नाथ जी आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीया अन्नपूर्णा जी खूबसूरत भावों से सजी इस कविता के लिये बधाई स्वीकार करें
आ0 अरुण शर्मा जी आपका हार्दिक आभार ।
सुन्दर व भाव-प्रवण रचना !..महाशया बधाई स्वीकारें !...नमन :)
आ0 जितेंद्र जी आपका हार्दिक आभार ।
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