For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"देखो सुशीला ये रूल में नहीं है मुझे अच्छी तरह पता है कि तुम दुबारा शादी कर चुकी हो फिर कैसे अपने मरहूम पति की पेंशन ले सकती हो मैं अभी नया आया हूँ ,जैसे चलता आया है सब वैसे  ही नहीं चलेगा; मैं इस मामले में बहुत सख्त हूँ"  बड़े बाबू   की फटकार सुनते ही सुशीला की आँखे भर आई हाथ जोड़ कर बोली "साहब मेरे दो बच्चों पर रहम खाइए आप किसी को कुछ मत कहिये बड़े साहब को पता चलेगा तो" !!!  और वो फफक कर रो पड़ी।

 ,उसके रोते ही बड़ा बाबू नर्म लहजे में बोला "रोओ मत एक रास्ता है; मैं जहां पहले था उसी दफ्तर में एक महिला का केस तुम्हारे ही जैसा था, उसने समझौता कर लिया था तो मैंने हमेशा के लिए मुंह बंद रखा, तुम भी समझौता कर लो तो किसी को नहीं कहूँगा”।

 फिर धीरे धीरे कान में फुसफुसाने लगा ,सुशीला का चेहरा लाल हो गया कुछ देर अवाक सोचती रह गई फिर बोली "साहब जैसी आप की मर्जी, ठीक है कल रात दस बजे ,मेरे पति की नाईट ड्यूटी है"  सुनते ही बाबू  की बांछे खिल उठी और सुशीला केबिन से बाहर निकल गई।

अगले दिन सुशीला ने बड़े गर्म जोशी के साथ दरवाजे पर बाबू का स्वागत किया ,बाबू चारो तरफ चोर नजरे दौडाते हुए घर में घुस गए। सुशीला बाबू को अपने शयन कक्ष में जहां अँधेरा था ले जाकर बोली "आप आराम से लेट जाइए , मैं आपकी खातिदार का इंतजाम करके आती हूँ ,बेड के सिरहाने बटन है लाईट जला सकते हैं" ।

अगले ही पल बाबू ने जैसे ही लाईट जलाई  उसकी घिघ्घी बंध  गई सामने चेयर पर उसकी पत्नी ,बड़े साहब और उनकी पत्नी बैठी देख कर बाबू को हार्ट अटैक होने को हो गया,उसकी जीभ तालू से चिपक गई मुंह खुला का खुला रह गया। साहब की पत्नी गुस्से में फुफकारते हुए बोली " तुम जैसे कमीने इंसान ही औरतों को जीने नहीं देते,सुशीला की दूसरी शादी का पता हमको उस दिन से ही है ,किन्तु इसके हालात को इसके दो छोटे बच्चो को देखते हुए हम सब इसके साथ हैं अच्छा हुआ ये बात इसने तुम्हे नहीं बताई वर्ना इतनी महान  हस्ती हमारे यहाँ ट्रांसफर हो कर आई है ये कैसे पता   चलता !!!  

***************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

 

 

Views: 1056

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2013 at 9:48am

आदरणीय सुशील जोशी जी लघु कथा के अनुमोदन में आपके शब्द पाकर रचना धन्य हुई लिखना सार्थक हुआ ,आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2013 at 9:46am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया से प्रस्तुति धन्य हुई कथा के मर्म के अनुमोदन से मेरा लेखन सार्थक हुआ हृदय तल से आभार आपका 

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 8:56am

आपकी कथा अमानवीय और मानवीय दोनों पक्षों को छूती हुई वांछित संदेश देने में सफल हो रही है आदरणीया राजेश कुमारी जी....

सादर  बधाई स्वीकारें...

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 8:45am

ये एक कहानी है और हर कहानी विशेषकर लघु कथा को कहने का अपना उद्देश्य होता है. अपने उद्देश्य में कहानी सफल है. कहानी के गढ़न में कसावट की गुंजाईश तो है लेकिन तर्कों की नहीं.

सुशीला की दूसरी शादी एक बाद बच्छों का खर्चा पति क्यों नहीं उठा रहा. या सुशीला की स्वावलम्बी कैसे बनाया जाये. ये इस लघु कथा के विषय नहीं हैं और हो भी नहीं सकते. इसके लिए सामाजिक तर्कशास्त्र और विद्रूपताओं की पूरी किताब खोलनी होगी.

इस सुन्दर और सफल लघु कथा के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी को हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 7:36am

बहुत ही सार्थक कथा है आदरणीया राजेश कुमारी जी.... इस तरह की कुंठित मानसिकता वाले कुछ व्यक्तियों के कारण ही महिलाएँ असुरक्षित हैं.... बहुत बहुत बधाई इस कथा के लिए....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 4, 2013 at 12:39am

जिस ताने-बाने से इस लघुकथा की बुनावट हुई है वो इसी दुनिया के हैं. वैसे कथा की बुनावट थोड़ा और कसावट माँगती थी.  लेकिन अपने संदेश को कह सकने में कथा सफल है.
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2013 at 10:38pm

प्रिय प्राची जी आपने सही कहा है न जाने कितने ऐसे कुत्सित मानसिकता वालों से दो चार होना पड़ता है ,अब जरूरत है हिम्मत की,डर को मजबूरी को उनकी कमजोरी समझ लिया जाता है उससे अपने को बचाना है यही सन्देश इस लघु कथा का मकसद है ,अनुमोदन में आपके शब्द मिले रचना सार्थक हुई दिल से आभार आपका   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 10:25pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

समाज में महिलाओं को कदम कदम पर ऐसी चुनौतियों का सामना करना पढता है जहां उसकी मजबूरियों का फायदा उठाया जाता है... सुशीला ने अपनी हिम्मत और सूझ से ऐसे बड़े बाबू को सबके सामने रंगे हाथों बेनकाब किया... सुन्दर सन्देश देती लघु कथा 

समाज में ऐसे छुपे विद्रूप पहलुओं को उजागर करती लेखनी के लिए साधुवाद 

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2013 at 10:12pm

आदरणीय शरदिंदु मुखर्जी जी लघु कथा पर आपके विचार पढ़ कर हर्षित/उत्साहित हूँ ,लघु कथा का  सन्देश आपको प्रभावित कर सका मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 3, 2013 at 9:35pm
हर कामकाजी व नौकरीपेशा महिला के लिये यह लघुकथा आवश्यक गाईड के तौर पर उपलब्ध कराना चाहिये. अबला नारी वास्तव में "अबला" नहीं होती - इस संदेश को बहुत ही सार्थक ढंग से सम्प्रेषित किया गया है. अभिनंदन आदरणीया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service