For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूपसी

सुंदर, सकल काया, से सभी के ह्रदय में,

अनुकूल जोश भर, जाती है वो रूपसी,

नयन उचारें जब, मधु से भी मीठे बोल,

तब मदहोश कर, जाती है वो रूपसी,

मन है पवित्र ऐसे, गंगा का हो जल जैसे,

जितने भी दोष, तर, जाती है वो रूपसी,

लता सी कमरिया को, जब लचकाती चले,

सबको बेहोश कर, जाती है वो रूपसी।

-------------------------------- सुशील जोशी

"मौलिक अप्रकाशित"

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on October 3, 2013 at 7:38pm

सुंदर चित्रण !!

बधाई !!

Comment by बृजेश नीरज on October 3, 2013 at 7:36pm

अच्छी रचना! बधाई आपको!

Comment by रविकर on October 3, 2013 at 7:30pm

बहुत बढ़िया -
आभार आदरणीय

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 3, 2013 at 5:59pm

अनुकूल जोश भर, जाती है वो रूपसी,

मेरी समझ से-----  अनुकूल जोश भर जाती है , वो रूपसी  होना चाहिये ! सआदर रचना बहुत सुन्दर !

Comment by D P Mathur on October 3, 2013 at 5:28pm
मन है पवित्र ऐसे, गंगा का हो जल जैसे,
जितने भी दोष, तर, जाती है वो रूपसी,

आदरणीय , सुन्दर चित्रण के लिए बधाई ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 3:24pm

आदरणीय सुशील जी प्रेयशी की सुन्दरता का बेहतरीन चित्रण किया है आपने ..हार्दिक बधाई के साथ 

Comment by Meena Pathak on October 3, 2013 at 3:08pm

बहुत सुन्दर .. बधाई आप को आदरणीय 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 3, 2013 at 2:47pm

जय हो आदरणीय, किंतु ऐसी रूपसी आपने खोजी कैसे ये भी बताना चाहिए, सादर

Comment by coontee mukerji on October 3, 2013 at 1:43pm

बहुत सुंदर रचना है आदरणीय,प्रयास जारी रहे.

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 3, 2013 at 11:53am

आदरणीय सुशील भाई जी दिल खुश हो गया पढ़कर बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने कवित्त बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service