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संवेदनाओं के 

अंतर गुन्जन पर 

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य..

इस ओर से उस छोर 

उस छोर से इस ओर

विलयित तटबन्ध..

लहर लहर मन 

आनंदित 'नील सागर'

मौलिक और अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 8, 2014 at 11:59pm

हार्दिक धन्यवाद प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by ram shiromani pathak on October 23, 2013 at 4:31pm

बस इतना ही कहूँगा "गागर में सागर"//हार्दिक बधाई आपको आदरणीया प्राची जी //सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 4, 2013 at 11:14am

प्रिय गीतिका जी 

अभिव्यक्ति के भाव व शब्द आपके मन तक पहुँच सके.. यह एहसास प्रोत्साहित करता है.. हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 3:59pm

आदरणीया मीना पाठक जी 

रचना आपको पसंद आयी .. यह जान प्रोत्साहन मिला है .हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 3:54pm

आदरणीय राजेश 'मृदु' जी 

अभिव्यक्ति के शब्दों को आपने मान दिया... आपकी आभारी हूँ..

इस प्रस्तुति में  निःशब्दित स्वार्थरहित अनकहे प्रेम की ख़ूबसूरती को व्यक्त किया गया है.. जिसे दो इकाईयों  के मध्य व्यक्त किये जाने की भी आवश्यकता नहीं होती.. 

जिसमें सौम्य भाव लहरियां इतने साम्य में हुआ करती हैं कि दो अलग व्यक्तित्वों के मध्य अहम् की किसी दीवार का अस्तित्व नही रहता.. या आत्मा के सूक्ष्म स्तर पर एकत्व अनुभव किया जाता है (जिसे विलयित तटबन्ध से इंगित किया गया है)

जिस सात्विक भाव का आनंद अंतर को असीम विस्तार दे जिसमें हर भाव एक शून्यता में विलय हो जाए.. यही नील सागर का इंगित है जो अनंत है.

सादर.

Comment by वेदिका on October 3, 2013 at 3:17pm

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य.. अद्भुत शब्दों का समन्वय हुआ,

आते जाते भावों की निशब्द अभिव्यक्ति, मन की तह मे मन ही जा सकता है|

सुंदर सृजन पर बधाई आ0 दीदी! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 3:12pm

आदरणीय विजय मिश्र जी 

अभिव्यक्ति पर शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार 

Comment by Meena Pathak on October 3, 2013 at 3:04pm

वाह !! रचना पढ़ के मन लहर लहर गया :)

हार्दिक बधाई आप को 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:58pm

रचना की कथ्य सांद्रता पर बधाई प्रेषित करने के लिए हार्दिक आभार आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:55pm

आदरणीय अरुण निगम जी 

अभिव्यक्ति पर पुनः आने के लिए और मुग्ध हो बधाई प्रेषित करने के लिए पुनः पुनः  सादर आभार 

कृपया ध्यान दे...

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