For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक दिन
तुमने कहा था
मैं सुंदर हूँ
मेरे गेसू काली घटाओं की तरह हैं
मेरे दो नैन जैसे मद के प्याले
चौंक कर शर्मायी
कुछ पल को घबरायी
फिर मुग्ध हो गयी
अपने आप पर
पर जल्द ही उबर गयी
तुम्हारे वागविलास से
फंसना नहीं है मुझे
तुम्हारे जाल में
सदियों से
सजती ,संवरती रही
तुम्हारे मीठे बोल पर
डूबती उतराती रही
पायल की छन छन में
झुमके , कंगन , नथुनी
बिंदी के चमचम में
भुल गयी
प्रकृति के विराट सौन्दर्य को
वंचित हो गयी
मानव जीवन के
उच्चतम सोपानो से
और
तुमने छक के पीया
जम के जीया
जीवन के आयामों को
पर इस बार नहीं
भरमाओ मत
देवता बनने का स्वाँग
बंद करो
साथ चलना है , चलो
देहरी सिर्फ मेरे लिए
हरगिज नहीं

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 1128

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 11:22pm

आदरणीया सावित्री जी ..स्वागत है ... रचना को समय दिया आभारी हूँ ..

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 11:17pm

आदरणीय विजय निकोरे जी , .. रचनाकर्म को सराहने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार.. सादर

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 11:15pm

आदरणीय रविकर सर , स्वागत है .. आपने पढ़ा , समय दिया .. और मर्म को समझा .. अपना आशीर्वाद दिया , लिखना सार्थक हुआ . स्नेह बनाये रखे

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 11:06pm

आदरणीय अरुण अनंत जी .आपका बहुत -२ धन्यवाद आपने रचना को समय दिया , पसंद किया आभार

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 10:59pm

//अर्थात 
मेरी प्रगति के दरवाजे

अब तुम

न बंद करों  //

 

आदरणीय लक्ष्मण सर ... आपने रचनाकर्म को सराहा, उसके मर्म को समझा, ह्रदय तल से आभारी हूँ स्नेह, सहयोग  बनाये रखे .. सादर

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 10:54pm

 //मगर प्रशंसा की बात को देवता से जोड़ नहीं पाया । वागविलास भी देवता नहीं करते, खैर,//

 

आदरणीय राजेश जी .. आप जैसे प्रबुद्ध जन अगर ये कहें तो निराशा होती है ...

यंहा पति देवता / पति परमेश्वर की बात कही है जो शादी से पहले अपनी प्रेमिका को प्रसंशा कर बहलाता है ..उसके रूप की तारीफ़ कर अपने वाक् जाल में फंसाता है फिर बड़े सपने दिखता है ..भले ही उसकी प्रेमिका उससे ज्यादा शिक्षित हो उससे ज्यादा गुणी हो , उससे ज्यादा भविष्य उज्जवल हो .. और वो इस जाल में फंस भी जाती है .. और जब पत्नी बन जाती है तो उसे अपनी शिक्षा अपने सपने बीच में हो छोड़ने होते हैं क्योंकि उसे देहरी का हवाला दिया जाता है ..पर शादी  से पहले उससे वादा किया जाता है की तुम सब करने के लिए आजाद रहोगी  बहुत सारी  बाते इसमें सम्मिलित हैं  आप समझ  गए होगें ..मैंने अपनी सहेलियों के साथ ऐसे होते  देखा  हैं ...खैर

 

आपने पसदं किया इसके लिए आभरी हूँ स्नेह बनाये रखे , सादर

 

 

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 10:37pm

आदरणीय जितेद्र जी .. बहुत -२ आभार रचना आपने पसंद किया , सहयोग बनाये रखे

Comment by वीनस केसरी on September 23, 2013 at 10:35pm

धारदार
प्रणाम स्वीकार हो ...

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 10:33pm

// , बराबरी का हक़ , स्वच्छन्द उडान , नारी जागृति की ओर !! //

 

आदरणीय गिरिराज जी .. बराबरी का हक़ तो ठीक समझा आपने पर .. स्वछन्द  उड़ान नहीं .. बल्कि जिम्मेवारियों को साथ वहन करते हुए .. मानवीय जीवन के सभी आयामों को साथ जीने की उड़ान कही है मैंने ...इसलिए मैंने देहरी सिर्फ नारी के लिए नहीं बल्कि देहरी जो प्रतीक हैं संस्कारों और मूल्यों को संजोकर रखने की वो सिर्फ नारी के अकेले की जिम्मेवारी नहीं बल्कि परुष की है .. अक्सर देखा जाता है घर की , मूल्यों की , धर्म की , रिवाजो को , बच्चो  को संस्कारित करने की  जिम्मेवारी अकेले नारी निभाती रहती हैं और पुरुष बाहर काम करने पैसे कमाने के बहाने .. स्वछन्द होकर मूल्यों को ताक पर रख कर ... कई असामाजिक कार्यों में लिप्त होता है और अपने घर और बच्चो को धोखे में रखता है .. पत्नी अगर आवाज उठाती है तो उसे घर की देहरी का हवाला दे कर चुप का दिया जाता है ..

बरहाल आपने समय दिया ... पसंद किया लिखना सार्थक रहा हार्दिक आभार .... सहयोग बनाए रखे

Comment by MAHIMA SHREE on September 23, 2013 at 10:18pm

//कुछ अलग ही तेवर ...जरुरत भी है चेतावनी की ...बदले किसी भी तरह तो बदले ये समाज ...चाहे दुर्गा या काली . सुन्दर भाव....//

आदरणीय भ्रमर सर ... नमस्कार .. आज की नारी के भाव को आपने समझा , आशीर्वाद दिया , शुभकामनाये दी और बदलाव को सहर्ष स्वीकार किया इसके लिए ह्रदय तल से आभारी हूँ ...सादर , स्नेह बनाये रखे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
19 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service