For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


जीवन है क्या ?
मन के यक्ष प्रश्न
सुख या दुख ।

मेरा मन
पथ भूला राही है,
जग भवर ।
        
देख दुनिया,
जीने का मन नही,
स्वार्थ के नाते ।

मन भरा है,
 ऐसी मिली सौगात,
बेवाफाई का ।

कैसा है धोखा,
अपने ही पराये,
मित्र ही शत्रु ।

जग मे तु भी,
एक रंग से पूता,
कहां है जुदा ?

क्यों रोता है ?
सिक्के के दो पहलू
होगी सुबह ।

........‘रमेश‘.........
मौलिक अप्रकाशित

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 11, 2013 at 11:30pm
परम श्रद्वेय प्राचीजी आपके शिल्पगत परख से मै अभिभूत हूं । आपके द्वारा चिन्हांकित त्रुटि यथार्थ है केवल ''मेरा मनवा के स्थन पर मेरा मन" टंकण त्रुटि है । शेष पर मेरा ध्यान नही था । आपके इस ध्यानाकर्षण्‍ा के लिये मै ह़दय से आपका आभरी हू । इस दिशा निर्देश से निश्चित रूप से मेरे त्रुटियां का निराकरण होगा । आप इसी आकार नि:संकोच मेरा मार्गदर्शन करते रहिगा । सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 4:16pm

बहुत सुन्दर हायकू प्रयास आ० रमेश चौहान जी 

जीवन है क्या ?
मन के यक्ष प्रश्न
सुख या दुख ।.............बहुत सुन्दर 

मेरा मन..........................सिर्फ ४ वर्णाक्षर 
पथ भूला राही है,.................................पंक्ति पहली पंक्ति पर निर्भर है 
जग भवर ।.......भँवर

मन भरा है,
ऐसी मिली सौगात,
बेवाफाई का   .........मिली के साथ 'का' या 'की'................... तीसरी पंक्ति स्वतंत्र नहीं है 

इस सद् प्रयास के लिए शुभकामनाएँ 

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 10, 2013 at 9:58pm

आ.गिरिराज भंडारीजी, वंदना तिवारीजी, मीना पाठकजी,विजयश्रीजी आपलोगों के उत्साहवर्धन से मुझे नई शक्ति प्राप्त हुई ।  आप सभ सम्मानीय जनों का आभार  । सादर

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 12:38pm

क्यों रोता है ?
सिक्के के दो पहलू
होगी सुबह ।

सुदर हाइकू रमेश कुमार जी बधाई स्वीकारे 

Comment by Meena Pathak on September 9, 2013 at 11:09pm

सुन्दर हाइकू ... बधाई

Comment by Vindu Babu on September 9, 2013 at 6:31pm
वाह आदरणीय!
हर हाइकू एक से बछकर एक,ढेर सी सार्थकता समेटे हुए।
सादर बधाई इस गहन अभिव्यक्ति के लिए।
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 9, 2013 at 9:42am
क्यों रोता है ?
सिक्के के दो पहलू
होगी सुबह । -------------- वाह वा !!! रमेश भाई बधाई !! बढ़िया हाईकू !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
1 hour ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service