For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी नज़रों में तो वो खरगोश ही था मोतवर

मेरी नज़रों में तो वो खरगोश ही था मोतवर
जिसने बाज़ी हारकर कछुए को कर डाला अमर

यूं हुई पलकों से रुखसत नींद कि लौटी नहीं
लाख ही उसको बुलाते रह गए हम रातभर

इश्क़ का जब-जब हुआ दिल हद से ज़्यादा बेक़रार
हुस्न ने तब- तब कहा कि और थोड़ा सब्र कर

ऐ क़लमकारो वो अह्सासे मुहब्बत भी लिखो
माँ की छाती मुंह में जब लेता है बच्चा दौड़कर

क़ायदे क़ानून के फंदे हैं बस मेरे लिए
उसने तो गठरी बनाकर रख दिया है ताक पर

बेतहाशा बढ़ रही है आज दौलत की हवस
आख़िर इन्सां क्या करेगा ले के इतना मालोज़र

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 2:59pm

बहुत खूबसूरत गज़ल 

हर शेर में सुन्दर शब्द चित्र निरूपित हुआ है 

हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by annapurna bajpai on September 10, 2013 at 1:10pm

आदरणीय सुशील भाई जी बहुत बधाई पको इस सुंदर गज़ल रचना के लिए । 

Comment by vijayashree on September 10, 2013 at 11:19am

ऐ क़लमकारो वो अह्सासे मुहब्बत भी लिखो 
माँ की छाती मुंह में जब लेता है बच्चा दौड़कर

क़ायदे क़ानून के फंदे हैं बस मेरे लिए 
उसने तो गठरी बनाकर रख दिया है ताक पर

बेहतरीन बधाई स्वीकारें  सुशील ठाकुर जी

Comment by Sushil Thakur on September 10, 2013 at 1:01am

Shukriya bahut bahut

Comment by विजय मिश्र on September 9, 2013 at 12:43pm
माफ करेंगे सुशीलजी , मेरा ये दाद आपको नजर हो और 'सिज्जू भाई 'को दिलसे 'सुशीलजी' पढ़िएगा ,मेहरबानी होगी .
Comment by विजय मिश्र on September 9, 2013 at 12:39pm
"ऐ क़लमकारो वो अह्सासे मुहब्बत भी लिखो
माँ की छाती मुंह में जब लेता है बच्चा दौड़कर

क़ायदे क़ानून के फंदे हैं बस मेरे लिए
उसने तो गठरी बनाकर रख दिया है ताक पर

बेतहाशा बढ़ रही है आज दौलत की हवस
आख़िर इन्सां क्या करेगा ले के इतना मालोज़र | - जिन्दा और दमदार ,इनपे जाँनिसार .सिज्जू भाई ,तहेदिल से शुक्रगुजार .
Comment by Sushil Thakur on September 8, 2013 at 11:53pm

आ. हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। मैं आप तमाम अदीबों का मम्नूनो मश्कूर हूँ ग़ज़ल की सराहना जिस अंदाज़ में आप सब ने की है, मेरे पास शुक्रिया के लब्ज़ नहीं।

Comment by बृजेश नीरज on September 8, 2013 at 10:15pm

बहुत अच्छा प्रयास हुआ है। आपको हार्दिक बधाई!

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on September 8, 2013 at 9:02pm

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है ठाकुर साहब !

खास ये शेर बहुत उम्दा!

यूं हुई पलकों से रुखसत नींद कि लौटी नहीं 
लाख ही उसको बुलाते रह गए हम रातभर॥

दाद कुबूल करें!

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 8, 2013 at 12:56pm

बेतहाशा बढ़ रही है आज दौलत की हवस
आख़िर इन्सां क्या करेगा ले के इतना मालोज़र

अच्छा संदेश  है भाईजान बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service