For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद है !!
जब तुम्हारा जन्म हुआ था
एक नर्म तौलिये में लपेट
मुझे तुम्हारी एक
झलक दिखलाई थी
तुम्हे देखते ही
भूल गयी थी दर्द सारा
खों गयी थी
गुलाब की पंखुड़ियों जैसी सूरत में
कितना प्यारा था स्पर्श तुम्हारा
नर्म
बिलकुल रुई के फाहों जैसा
खुश थी छू के तुम्हे

तुम मद मस्त नींद में
लग रहा था
लम्बा सफ़र तय किया है तुमने
कितने दिनों के थके हो जैसे
 
जब तुमने
आँखें खोली पहली बार
इस नयी दुनिया को देखने की कोशिश
तुम्हारी काली चमकदार आँखें
ढूंढ रही थीं कुछ
मै हर्षित देख रही थी
तुम्हे आँखें घुमाते हुए
जब तुमने
अपना सिर घुमा के
करीब देखा मुझे
एक हल्की मुस्कान के साथ
आँखे बंद कर के सो गये
जैसे तुमने पा लिया था उसे
जिसे ढूंढ रहे थे
मै तुम्हे नींद में मुस्कुराते देख
ऐसे तृप्त हो गयी थी जैसे
बंजर जमीन हो गई हो हरी-भरी
पतझड़ के बाद आ गयी हो बसंत ऋतु
पड़ी हो सूखी धरती पर बरखा की फुहार
आँचल से फूट पड़ी ममता की धार 
तुम्हे अपने आँचल से ढक
कलेजे से लगा कर
मै भी सो गई थी !!....
 
आज तेरी छवि है मेरे सामने
पर कलेजे से लगाने को तरसती हूँ
आँखों में आँसूओं का समंदर,
हृदय में ममता की लहरें
दूर तु मुझसे और मै तुझसे
मिलेगा कभी ना कभी
यही आस,
यही उम्मीद लिए बैठी हूँ ||!!!

मीना पाठक

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 1347

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on September 6, 2013 at 5:21pm

बहुत बहुत शुक्रिया प्रियंका जी

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2013 at 4:28pm

बहुत ही सुन्दर और मनोहारी रचना अद्भुत दृश्य आँखों के सामने आ गया ...........अंत पीड़ा से भरा हुआ 

बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

Comment by annapurna bajpai on September 6, 2013 at 4:15pm
आदरणीया मीना जी , महा कवि मैथिली शरण गुप्त जी की ये पंक्तियाँ बार बार ये याद दिला रही हैं
" अबला जीवन हाय ! तेरी यही कहानी ,
अंचल मे है दूध और आँखों मे पानी ।"
आज ममता की गागर भरे हर माँ अपने बेटे का इंतजार करती दिखती है किन्तु बेटे .............. । इस सुंदर रचना हेतु बहूत बधाई स्वीकारें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:34am
आदरणीया मीना जी , माँ की ममता और आज की परिस्थिति मे माँ की मज़बूरियाँ दो को एक साथ बयान करती आपकी सुन्दर रचना के लिये बहुत बधाई !!!
Comment by रविकर on September 6, 2013 at 11:20am

बहुत बढ़िया आदरेया-
शुभकामनायें-


मैया ताकत दूर तक, पर आवत नहिं पूत |
काया की ताकत ख़तम, आजा अब आहूत ||

Comment by Shyam Narain Verma on September 6, 2013 at 11:11am
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 
Comment by Ashish Srivastava on September 6, 2013 at 11:09am

मै तुम्हे नींद में मुस्कुराते देख 
ऐसे तृप्त हो गयी थी जैसे
बंजर जमीन हो गई हो हरी-भरी 
पतझड़ के बाद आ गयी हो बसंत ऋतु 
पड़ी हो सूखी धरती पर बरखा की फुहार 
आँचल से फूट पड़ी ममता की धार  
तुम्हे अपने आँचल से ढक 
कलेजे से लगा कर 
मै भी सो गई थी !!....
 

अति सुन्दर ममतामयी भाव , बधाई स्वीकार करें आदरणीय मीना जी 

Comment by shubhra sharma on September 6, 2013 at 10:46am

आदरणीया मीना  जी , आपने अपनी कविता में माँ की ममता को उड़ेल कर रख दी है , बहुत बहुत बधाई 

Comment by Priyanka Pandey on September 6, 2013 at 12:25am
NICE
Comment by Meena Pathak on September 5, 2013 at 11:28pm

बहुत बहुत आभार आ० गीत जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service