For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


वेद महान सुज्ञान सुनो उसमे सब विश्व रहस्य समाहित
किन्तु उपेक्षित से लगते अवमूल्यन नैतिकता दिखता नित
कोश न पुण्य प्रसून रहे कितना करते तुम पाप उपार्जित
जीवन में असुरत्व बढ़ा व कुतर्क बड़ा अब धर्म पड़ा चित

विश्व सनातन धर्म गहे मत त्याग इसे अपना कर भारत!
खोज महागुरु भी निज के हित ज्ञान स्वकोश बना कर भारत!
छोड़ विकार सभी मन के तन को तपनिष्ठ घना कर भारत!
इन्द्र रहें हवि से बलवान स्वपौरुष की रचना कर भारत!

रचनाकार - डॉ आशुतोष वाजपेयी
लखनऊ

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित रचना 

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 8:19pm

बहुत ही सुन्दर छंद आदरणीय आशुतोष जी , हार्दिक बधाई आपको   //सादर  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2013 at 7:26pm

प्रस्तुति यह सद्भाव भरी इससे भी आगे मुझको कहना 

कोष पुण्य भरे ऋणात्मक करते कितना पाप उपार्जित - लक्ष्मण 

सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई के साथ ही शिक्षक दिवस की शुभकामनाए 

Comment by annapurna bajpai on September 5, 2013 at 7:15pm

आ0 आशुतोष जी आपके छंदों का कोई जवाब नहीं । 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 5, 2013 at 6:51pm

मै धन्य हो गया रविकर जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 5, 2013 at 6:50pm

बहुत बहुत आभार श्याम नारायण जी 

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 5:23pm

स्वागत है आदरणीय-
(दिनेश चन्द्र गुप्ता "रविकर")

खूब रचें अशुतोष महाशय छंद विधा पर नाज हमें है |
प्रस्तुति है त्रुटिहीन प्रभो गुरु भाव भरे दृग-युग्म थमे हैं ||

Comment by Shyam Narain Verma on September 5, 2013 at 4:26pm

 इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
7 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service