For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जय हो जय हो भारत माता (दोहा चौपाई)

दोहा

मातृभूमि है मेरी, स्वर्ग से भी भली ।
माथा झुका नमन करू, प्रस्सुन ले अंजुली ।।

चैपाई

लहर लहर तिरंगा लहराता । रवि जहां पहले शिश झुकाता
जय हो जय हो भारत माता ।  तेरा वैभव सकल जग गाता

उत्तर हिमालय मुकुट साजे । उन्नत शिखर रक्षक बन छाजे
गंगा यमुना जहां से निकली ।  केदार नंदा तट है बद्री

दक्षिण में सिंधु चरण पखारे ।  दहाड़ता जस हो रखवारे
सेतुबंध कर शंभू जापे     ।  तट राम रामेश्वर थापे

पूरब कोणार्क जग थाती     ।  पुरी में जगन्नाथ की ख्याती
पश्चिम में सोमनाथ विख्यात ।  द्वारिका किसको नहीं ज्ञात ।।

दिल्ली में लाल किला प्राचीर । आगरा ताज यमुन तीर
मां शिशु का है अपना नाता  । जय हो जय हो भारत माता
.
................‘‘रमेश‘‘..............

मौलिक अप्रकाशित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 6:51pm

आदरणीय रमेश जी मेरे कहे को आपने मान दिया, इसके लिए आपका आभार!
हम सभी यहां छा़त्र ही हैं। सभी एक दूसरे से सीख ही रहे हैं।
सादर!

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 4, 2013 at 4:51pm
आदरणीय नीरजजी आप जैसे अग्रजो से कुछ सीखने के लिये ही ओबीओ पर आया हू ।आपके विचार से मैं पूर्णत: सहमत हॅू और आगे इस बात का ध्यान रखूगा । आप नि:संकोच इसी प्रकार मेरा मार्गदर्शन करते रहियेगा ।
Comment by बृजेश नीरज on September 4, 2013 at 1:05pm

आपका यह प्रयास बहुत ही सुन्दर है! आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन करना चाहता हूं शायद आप सहमत हों कि सिर्फ मात्रा के हिसाब से फिट बैठाने के लिए शब्दों के हिज्जों से छेड़छाड़ उचित नहीं। ऐसा करना रचना की सुंदरता को कम करता है। देशज भाषा में प्रचलित शब्दों और खड़ी बोली के शब्दों के रूप में मात्रा के अनुसार परिवर्तन, दोनों में अंतर है और रचनाकर्म करते समय हमें इस अंतर को समझना होगा।
सादर!

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 8:46am

माँ शिशु का है अपना नाता
जय हो जय हो भारत माता !!..... बहुत सुन्दर रचना, बधाई

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 3, 2013 at 9:26pm
सभी आदरणीयों का हार्दिक स्वागत । यह मेरी पहली मात्रात्मक (छंदबद्व)रचना है । इस रचना में आपलोंगों का स्नेह भरा सुझाव पाकर मेरा OBO में जुड्ना सार्थक हो गया । आदरणीय रविकरजी आपके द्वारा दी गई संशोधन एवं मार्गदर्शन के लिये हृदय से आभरी हूं । आदरणीया डां प्राची सिंह, आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी जैसे की मैने बताया कि यह मेरी पहली रचना है, जिसे भारतीय छंद विधान समूह के संक्षिप्त अध्ययन के पश्चात प्रयास किया । मै पुन: अध्ययन करूंगा । भाई विजय मिश्रा और सभी मित्रों का हार्दिक आभार ।
Comment by रविकर on September 3, 2013 at 7:49pm

शुभकामनायें आदरणीय-
प्रयास करते रहें-

बढ़िया प्रयास है यह-

अपने गुरुजनों का कार्य थोडा आसान कर देता हूँ-
आदरणीय आपकी सेवा में सादर
आपकी यही पंक्तियाँ--

मातृभूमि मेरी महा, भली स्वर्ग से जान ।
नमन करें माथा झुका, देव दनुज भगवान् ।।

चौपाई -
लहर लहर झंडा लहराता । सूरज पहले शीश झुकाता |
जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव जग विख्याता ||

उत्तर मुकुट हिमालय साजे । उच्च शिखर रक्षक बन छाजे ||
गंगा यमुना निकली पावन । चार-धाम हैं पाप नशावन ||

Comment by विजय मिश्र on September 3, 2013 at 5:30pm
अभिव्यक्त भाव अतिप्रसंशनीय है , राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत -जय भारत माता .बधाई रमेशजी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2013 at 5:07pm

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी 

संभवतः आपकी कोई पहली ही रचना मंच पर देख रही हूँ..

बहुत ही सुन्दर भाव हैं हमारे भारत देश की महिमा को प्रस्तुत करते 

आपको हार्दिक बधाई .

लेकिन यह विशेष है कि, मात्रिक छंदों के लिए मात्रा गणना के नियमों का और छंद के विधान का पालन करना होता है... इस बारे में कई जानकारी साझा करते हुए आलेख हिन्दी की कक्षा और भारतीय छंद विधान समूह में उपलब्ध हैं... आप उनका अवश्य ही अध्ययन कर लें , ताकि विधानुरूप कोई भी अभिव्यक्ति प्रस्तुत की जा सके..

शुभकामनाएँ 

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2013 at 12:32pm

आदरणीय ,

 

अच्छा प्रयास है , परन्तु दोहा और चौपाईयों के नियम को फिर से देखें |

 

इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
29 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
57 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service