For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : याद है तुझको

2122 2122 2122 2122

शेर मेरे  ये  सभी यूं तो ज़माने के लिए हैं।
बेवफा से भी मुहब्बत ही जताने के लिए हैं।।

याद है तुझको कभी तू भी रहा है साथ मेरे।
याद भी तेरी जहां में भूल जाने के लिए हैं।।

चाहता है दर्द उसके सब मिटे दुनिया से कमसिन।
दर्द भी कुछ सीने पर ही तो लगाने के लिए हैं।।

दिल उन्होंने यूं संभाला जैसे कोई आइना हो।
आइना तो यार सब ही टूट जाने के लिए हैं।।

जख्म मेरे जो भी दुनिया से मिले है प्यार में वो।
जख्म ये सब यार उनसे ही छुपाने के लिए हैं।।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ketan Parmar on September 2, 2013 at 2:32pm

Sabhi Mitro ka sukriyaa like or comment karne ke liye

Comment by Ketan Parmar on September 2, 2013 at 2:31pm

Adarniyaa Rajesh Kumari ji

Kripya detail me samajhaye mujhe aapki baat kuch samajh nayi aayi hai saadar

Comment by Ketan Parmar on September 2, 2013 at 2:29pm

Vivek ji sahi kaha hai unki ghazal padhne ke baad ye koshish ki hai maine

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 3:55am

अच्छी ग़ज़ल हुई है ,,, सीखने की राह में एक और कदम
टिप्पणी में आई इस्लाह की ओर ध्यान दें तो दोष सुधार हो जायेगा
सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 1, 2013 at 12:32pm

प्रयास अच्छा है इस हेतु बधाई स्वीकारें मैं भी आदरणीया राजेश कुमारी जी से पूर्णतया सहमत हूँ भाई उनके कहे का सज्ञान करें.

Comment by vandana on September 1, 2013 at 6:34am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल 

Comment by vijayashree on September 1, 2013 at 12:14am

दिल उन्होंने यूं संभाला जैसे कोई आइना हो।
आइना तो यार सब ही टूट जाने के लिए है।।

बहुत खूब 

दाद कबूल कीजिये केतन परमार जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 31, 2013 at 8:14pm

आदरनीय केतन जी 

जख्म मेरे जो भी दुनिया से मिले है प्यार में वो। 
जख्म ये सब यार उनसे ही छुपाने के लिए है।।..इस बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद पसंद आया ..आपको ढेरों बधाई 

Comment by shubhra sharma on August 31, 2013 at 7:03pm

आदरणीय केतन जी
जख्म मेरे जो भी दुनिया से मिले है प्यार में वो।
जख्म ये सब यार उनसे ही छुपाने के लिए है।।
...............बहुत खूब ,बहुत बहुत बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on August 31, 2013 at 12:48pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
8 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
14 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
14 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service