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अंतस मे उमड़ती भावनायें,

उचित शब्द टटोलते,

शब्द कोशों को पार कर,

निष्फल प्रयासों से हार कर,

अंततः आवारा हो गईं !

और फिर आँखों के रास्ते ,

अश्रु बून्द के रूप में,

मेरे अंतस को हलका करके,

फिर से भर जाने के लिये, 

थोडा सा खाली करके,

खुद भी आज़ाद हो गईं !!!

       ************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 24, 2013 at 1:44pm

आदरणीया प्राची जी , आपका बहुत बहुत आभार !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 24, 2013 at 1:34pm

भाव प्रवणता के उफान को सही शब्द मिले हैं 

हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 3:25pm

अभिनव भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , रचना की सराहना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 3:24pm

राज भाई , रचना स्वीकार करने के लिये आपका ह्रदय से आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 22, 2013 at 3:23pm

अरुण भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली आभार !!

Comment by Abhinav Arun on August 22, 2013 at 3:13pm

अत्यंत गहन भावों की सरल अभिव्यंजना हार्दिक बधाई आदरणीय !!

Comment by राज़ नवादवी on August 22, 2013 at 2:39pm

संक्षिप्त, सुन्दर, व प्रवहमान अभिव्यक्ति के लिए बधाई गिरिराज जी! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 22, 2013 at 11:38am

बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 21, 2013 at 5:03pm

शुक्रिया भाई  जितेन्द्र !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 21, 2013 at 4:49pm

सुंदर प्रभावी रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज जी

कृपया ध्यान दे...

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