बेचारी पत्नी , सर्वप्रथम सभी पत्नियों से माफ़ी के साथ इस रचना की शुरुआत करता हूं। माफ़ी मैने आप पाठकों की पत्नियों से मांगी है। अपनी पत्नी से नही। अपनी पत्नी से कोई खुलेआम भला माफ़ी मांगता है। समाज में क्या इज्जत रह जायेगी बेचारे की । अकेले में कोई बात नही । कान पकड कर, मुर्गा बनकर , उठा बैठक कर- कर के माफ़ी मांगिये , कोई न देखेगा , न आपके मर्दवाद पर टिप्पणी करेगा। ह तो अब राज खोलता हूं । आजकल पत्नियों का एक प्रिय शगल है , बाबाओं के प्रवचन में जाना। कोई छोटा बाबा की शिष्या हैं, तो कोई गुजरात वाले बाबा पर आस लगाती हैं। कुछ को मोटी कमर नही पसंद है तो वैसी पत्नियों के तारणहार आजकल देश सुधार में लीन योग को मदाढी बना देने वाले बाबा हैं। आज तो एक ऐसी पत्नी मिली जो जिने की कला सिखाने वाले बाबा की क्लास अटेंड करती हैं। छोटे बाबा की शिष्य पत्नियां जब कीसी मैदान , खेत –खलिहान या स्कुल –कालेज में हो रहे प्रवचन को सुनने जाती हैं , तब उनका ध्यान प्रवचन से ज्यादा इस बात पर रहता है की गांव मुहल्ले की कौन – कौन आई हैं। कोई देखेगा तभी तो गांव में सबको बतायेगा । उसके बाद धीरे से नजर दौडाती हैं की कौन –कौन उनको देख रहा है , अगर कोई निहारता नजर आया तो अपना मेक अप –ओकप सवांरने लगती हैं। दुसरी श्रेणी में आसरा वाले बाबा की शिष्य पत्निया आती हैं। इनके शिष्याओं का स्तर थोडा उंचा होता है। यहां आनेवली पत्नियां घर पर डांस की प्रेक्टिस कर के प्रवचन सुनने जाती है , क्या पता कब आस दिखाते दिखाते ्बाबा क्र्ष्ण धुन शुरु कर के नचवाने लगें। हजारों लोगों के सामने ्डांस नही करने पर कितनी बेइज्जती महसुस होती है यह तो बेचारी पत्नियों का हीं दिल जानता हैं। फ़िर नही डांस कर सकने की स्थिति में भगवान कन्हैया की श्रद्धा में भी कमी हो जायेगी , यह भी डर रहता है। यह दिगर बात है की श्रीमान जी की, पत्नी का डांस देखने की ख्वाहिश शायद हीं कभी पुरी हुई हो। वैसे डांस प्रेमी पतियों के लिये मेरी सलाह है की आप भी आसा वाले बाबा का शिष्य बन जायें अपनी पत्नी को तो गोली मारिये दुसरे की पत्नी का भी डांस देखने का भरपुर आनंद मुफ़्त में मिल जायेगा । डांस वाले बाबा कि शिष्या पत्नियां , प्रवचन के बाद आपस में दुसरी शिष्या के डांस में कमियां निकालने में ज्यादा मशकुल रहती है। बाबा ने क्या कहा प्रवचन में , वह तो याद भी नही रहता । जरुरत भी नही है याद रखने की। बाबा के प्रवचन की सीडी उपलब्ध हैं हीं। अब हाल सुनाता हूं देश सुधार में लीन बाबा की शिष्या –पत्नियों का। सुबह उठ्कर , सबसे पहले उलुल –जलूल टाईप से , कभी हाथ उपर, कभी गर्दन टेढी करना शुरु कर देती हैं। पातांजली से सीधा संपर्क रहता है इन पत्नियों का। कुछ तो पेट –अंदर बाहर करने वाला मदाढी भी करने लगती हैं, जो बाबा अक्सर टीवी पर दिखाते हैं., लेकिन दिक्कत तब होती है जब आंत में एठन की परेशानी को खत्म करने में पति महोदय की जेब का पैसा हीं खत्म होने लगता है। अंत में जिवन की कला सिखाने वाले बाबा की शिष्या-पत्नियों की बात करता हूं। ्शादीशुदा महिला की मांग पर खिलती सदा सुहागन सिंदूर की तरह बाबा के चेहरे पर चेला फ़साओ मुस्कान २४ घंटे नजर आती है। ्वह मुस्कान बाबा का ब्रांड नेम लगती है। जिवन के क्ला सिखाने वाले बाबा का कोई प्रोग्राम या शिविर में मुफ़्तखोरों का प्रवेश वंचित है। एक शुल्क निर्धारित है , उसे चुकानेवाला हीं शिष्य या शि्ष्या बन सकता है। अब जब पैसे दे कर भगवान पाने की बात है तो निश्चित रुप से शिष्या –पत्नियां अमीर हीं मिलेगी वहां। इस बाबा के शिविर में जानेवाली पत्नियों का भी एक ब्रांड नेम होता है। फ़लाना साहब की पत्नि या फ़िर फ़लाना मैडम । वहा जाकर ये योग कम सिखती है , इसपर ज्यादा ध्यान देती हैं की और कौन –कौन ब्रांड नेम वहां जिवन जिने की कला सीख रहा है। यह अलग बात है की बहुत सारे ब्रांड नेम आज बाबा के शिविर में जिवन जिने की कला सिखते या सिखाते नजर आते है और कल आय से अधिक संपति के मामले में जेल के अंदर कला सिखाते दिखाई पड जाते हैं। इन शिष्यों को हीं ध्यान में रखते हुये , बाबा का जेल शिविर का आयोजन भी होता है। खैर जिवन की कला सिखानेवाले बाबा की शिष्या जो पत्नियां हैं, उनका ध्यान ब्रांड नेम पर ज्यादा रहता है। शिविर से लौट्कर सीधे पति को सुनाती हैं, पता है, तुम्हारे साहब भी शिविर में आये हुये थें। मुझसे बहुत अच्छा परिचय हो गया है। तुम्हारे साहब का ज्यादा समय मेरे साथ हीं गुजरता था शिविर में। मैने तुम्हारे बारे में बता दिया है , अब अपने साहब से घबराना नही। बेचारा पति कल तक जो थोडा बहुत हडका लेता था पत्नी महोदया को डर से वह भी बंद कर देता है। बल्कि उलटा पत्नी हीं पति के सामने उसके साहेब को मौका दर मौका फ़ोन लगाकर बात करके , पति पर लगाम कसती रहती है। इन सभी बाबाओं की शिष्या जो पत्नियां है उनमे साम्यवाद की तरह एक समानता है। वह है की हर मुसीबत में उनके लिये बाबा हीं सहारा हैं बाकी रहा पति तो वह तो बेचारा है। लेकिन पतियों को भी घबडाने की जरुरत नही है। अब बाबाओं के लिये सुरक्षित इस क्षेत्र में खुबसुरत बाबिनियों का प्रवेश हो गया है।
Comment
चलिये हमलोग बाबानियों का शिष्य बन जायें , फ़िर देखिये तुरंत पत्नियां का भुत उतर जायेगा।
बहुत सही नस पकड़ा है मदन भाई आपने | हिंदुस्तान मे बड़ा ही तगड़ा धंधा चालु हुआ है "बाबा गिरी" धडाधड चैनल खुल रहे है, सुबह से साम तक प्रवचन, पति महोदय को सुबह सुबह चाय भले ना पिलाती हो पर बाबा के प्रवचन के लिये सुबह ५ बजे निकल लेती है, बाबा के प्रवचन का यदि १ प्रतिशत भी कोई जीवन मे उतार ले तो हम कहा से कहा पहुच जाय,
बढ़िया व्यंग लेख के लिये बधाई आपको ...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online