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अपनी इस ग़ज़ल के साथ सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ

आये लौट आज़ादी आज अपनी जवानी में ।

के फहरा दो तिरंगा फिर हवाओं की रवानी में ।

उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,
गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में ।

हिमालय की पनाहों में शहीदों को सलामी दे ,
कोई तो गीत गूँजेगा आज गंगा के पानी में ।

बनायें उनके सपनों का चलो आज़ाद भारत हम ,
जिन्होंने ख्वाब देखा था ये अपनी जिंदगानी में ।

आँखों में नमी भरकर लिए मुस्कान होंठो पर ,
चलो कुछ देर बैठे हम फिर उनकी मेजबानी में ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on August 17, 2013 at 1:19pm

बनायें उनके सपनों का चलो आज़ाद भारत हम ,
जिन्होंने ख्वाब देखा था ये अपनी जिंदगानी में ।.......................... सुंदर भाव काश! ये सपना पूरा हो । आदरणीय नीरज मिश्र जी इतनी सुंदर रचनाएँ लिखते है आप मंत्र मुग्ध हो पढ़ती हूँ काश ये जादू हमे भी मिल जाए । शुभेक्षाएं ।

Comment by विजय मिश्र on August 17, 2013 at 12:30pm
उत्साह ,आदर और आग्रह , सबकुछ इस आशु रचना में भर दिया . बधाई भाई नीरजजी .
Comment by Sumit Naithani on August 17, 2013 at 9:41am

उड़ा दो फिर वही बादल आसमाँ में गुलालों के ,
गुलाबी रंग मिल जाए आज फिर आसमानी में । बहुत ही सुंदर भाव ... 

Comment by Neeraj Nishchal on August 17, 2013 at 4:46am
धन्यवाद केतन परमार जी ।
Comment by Neeraj Nishchal on August 17, 2013 at 4:44am
धन्यवाद बसंत नेमा जी ।
Comment by Neeraj Nishchal on August 17, 2013 at 4:38am
बहुत बहुत आभार गिरिराज भंडारी जी ।
Comment by Ketan Parmar on August 16, 2013 at 1:16pm

बहुत सुन्दर . आ0 नीरज जी बधाई वन्दे मातरम

Comment by बसंत नेमा on August 16, 2013 at 11:46am

बहुत सुन्दर . आ0 नीरज जी बधाई वन्दे मातरम 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2013 at 5:12am

वाह नीरज भाई , अच्छी बात कही -

आँखों में नमी भरकर लिए मुस्कान होंठो पर ,
चलो कुछ देर बैठे हम फिर उनकी मेजबानी में

कृपया ध्यान दे...

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