For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक बार फिर दिल से, गुस्ताखी माफ़ अगर लगे दिल पे 

 .

आज कल हर कोई  स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है, ऐसे में मेरे मन में कुछ विचार आये है ... जो शायद  क्रांति नहीं ला सकते और न ही उनमे कोई बोद्धिकता है | फिर भी लिख रहा हूँ और आप सबके साथ साँझा कर रहा हूँ ....

 .

बात तब की है, जब मैं बचपने की गोद में खेला करता था, दूरदर्शन पर  स्वतंत्रता दिवस के दिन मनोज कुमार की शहीद दिखाई गयी, फिल्म इतनी अच्छी लगी कि मुझे भारत माँ के  सबसे महान और वीर बेटे  भगत सिंह ही नज़र आने लगे | अब कोई मुझसे पूछता, "तुम्हे कौन अच्छा लगता है या तुम किस की तरह बनना चाहते हो", तो मैं तपाक से जवाब देता, "भगत सिंह जैसा" धीरे धीरे मैं बड़ा हुआ और मेरा बोद्धिक विकास निम्न स्तर का होता चला गया ....

 .

अब मैं सोचता हूँ, क्या इतना कह देने से कि मैं भगत सिंह या राजगुरु को मानता हूँ, पूजता हूँ,  सिर्फ कह देना ही काफी है, यदि हां तो मैं अभी भी बचपने की देहलीज़ पर हूँ और यदि न तो आखिर हमने ऐसा क्या कार्य किया है, जो हम इन्हें अपना आदर्श व्यक्तित्व मानते है ....

 .

 लेखको में खासकर एक बात आम है या नज़र आती है , इनसे सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कागजों पर लिखवा लो, किसी महान व्यक्ति का चरित्र चित्रण करवा लो .. या किसी विधा पर लिखवा लो, मगर एक बार उन्हें ये कहकर देखो कि देश के लिए कुछ करोगे , तो लेखक महाशय कहेंगे, "देखते नहीं हो मैं काम कर रहा हूँ, विचारो को कागजों पर उड़ेल रहा हूँ ...."

 .

हमारे देश भारत ओह माफ़ कीजिये इंडिया में, एक रिवाज़ और जोरो पर है, पहले भी था, मगर आज कल कुछ ज्यादा ही प्रभावी है , वो रिवाज़ है अपने नाम के साथ किसी महान हस्ती , फिल्म कलाकार या किसी नेता का नाम जोड़ लेना... क्या सिर्फ अपने नाम के साथ किसी का नाम जोड़ लेने से, किसी अन्य  व्यक्ति  के गुण आपकी आत्मा, बुद्धि और स्वभाव को प्रभावित कर सकते है, अगर नहीं तो फिर किसी का नाम या उपनाम , अपने साथ के साथ क्यों  जोड़ा जाये और अगर हां, तो फिर सिर्फ फिल्म कलाकारों या किसी अन्य का नाम जोड़ लेने के बजाए विवेकानंद जी या दयानन्द  जी जैसे ज्ञानियों के नाम क्यों नहीं जोड़े  जाते....

 .

कागज़ी आज़ादी तो हमे 1947 में ही मिल गयी थी, मगर  अफ़सोस की बात है कि आज भी हम कागज़ी जंग ही लड़ रहे है और आगे भी जाने कितने सालो तक, ये जंग बरक़रार रहेगी ....

 .

पता नहीं कभी-कभी मुझे क्या हो जाता है, शायद पागलपन के दौरे पड़ते है, खुमारी में जाने क्या-क्या लिख जाता हूँ... आज स्वतंत्रता दिवस है, तो अब मैं भी चलता हूँ, छत पर पतंग उड़ा कर, मार्किट या किसी मोल में जा कर कुछ कपडे खरीद लूँगा , शाम को एक नयी फिल्म देखूंगा और रात का डिनर किसी होटल में करने के पश्चात घर आकर  सो जाऊंगा .... बाकि दिन ऑफिस, टाइम ही कहाँ है मेरे पास.........और जो खाली वक़्त, है भी मेरे पास, उसे मैं अपने देश के नाम नयोछावर करता हूँ, कागज़ पर लिख लिख कर ............

मौलिक व अप्रकाशित

सुमित नैथानी  

Views: 636

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sumit Naithani on August 15, 2013 at 7:26am

शुभ्रांशु जी @ प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया, वैसे ऐसे दौरे मुझे अक्सर पढ़ते रहते है !

Comment by Shubhranshu Pandey on August 14, 2013 at 9:29pm

आ. सुमित जी, ये होता है.

हर स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के पहले ऎसे दौरे पड़ते हैं .......एक दो दिनों में आराम मिलेगा..हा...हा...

इस सारी बातों में जो अपने ऊपर लानत मानत की गयी है वो इस रचना का उत्कर्ष है, दूसरों को उपदेश देने के बदले अपने आप को जिम्मेवार मानना एक बड़प्पन है. सुन्दर रचना...

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
48 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
53 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
58 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service