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!!! जमीं-फलक में हैं तारें, निकल के देखते हैं !!!

!!! जमीं-फलक में हैं तारें, निकल के देखते हैं !!!
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लहर-लहर में कशिश है, मचल के देखते हैं।
हवा हवाई सफर से, बहल के देखते है।।

नदी कहे कि सितारें भरी हैं रेत हसीं।
लहर चमक के किनारे उछल के देखते हैं।।

हवा दिशा से कहे कामना सकल शुभ हो।
मगर तुफान कहे तो संभल के देखते हैं।।

ये अग्नि-वारि गगन में, धरा भुलाए नफरत।
प्रलय से कष्ट मिले हैं, संभल के देखते हैं।।

गगन से बरसे है पत्थर, मनुज दबे बहकर।
धरा ओढ़ाए है चादर, सजल के देखते हैं।।

दुआ करें न बने लड़कियां तवायफ वो,
हजार बार सुनीता गजल के देखते हैं।।

ये कल्पना है उड़ाती गगन में गम को।
गगन से पार सभी निकल के देखते हैं।।

ये मांग पर मेरे सिन्दूर किसने डाला यूं।
अमर सुहाग बनी दृग सजल के देखते हैं।।

सुनो कहो कि जमाना मचल न जाय कही।
अभी कुछ और करिश्में गजल के देखते हैं।।

दुआ दवा है कि ‘सत्यम‘ बसर यहां जैसे।
जमीं-फलक में हैं तारें, निकल के देखते हैं।।

कभी-कभी मेरे दिल में सवाल उठता है,
दवा-हकीम नही वो खरल के देखते हैं।।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 12:57am

बहुत खूब

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 22, 2013 at 6:40pm

आ0 परमार भाई जी,  गजल के विषय में सीख रहा हूं।   पहले मैंने ’’दुआ करें न बने लड़कियां तवायफ सी’’.......ही लिखा था। किन्तु न जाने क्यूं बात अखर गई।  हमें दुआ करनी चाहिए कि लड़कियों की जिंदगी नर्क और नर्क से बद्तर न बने....तवायफ की जिंदगी नर्क या नर्क से बद्तर ही होती है.......’वो’.....वो कौन है? अथवा वे कौन हैं?  जो तवायफ बनने/बनाने जैसी स्थिति उत्पन्न करते हैं।  सादर,

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 1:57pm

दुआ करें न बने लड़कियां तवायफ वो,
हजार बार सुनीता गजल के देखते हैं।।

Iskaa matlab bhi samjhaye

Comment by Ketan Parmar on July 22, 2013 at 1:56pm

Bhot acchaa or sarthak prayas

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2013 at 7:33pm

आ0 विजय सर जी, आपने सही कहा है। काफिया की पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए।  मैं ध्यान नहीं दे पाया। आपके स्नेह और सुझाव के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by विजय मिश्र on July 20, 2013 at 10:41am
"अभी कुछ और करिश्में गजल के देखते हैं।। " -यहाँ आपने बेशक दिखाया है ,अन्दाज बेफिकर और अशआर इतर . गजब की गजलकारी है . बधाई हो केवलजी .'सजल' की पुनरावृति थोड़ी चुभी ,वह भी आपकी वजह से .
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 8:30pm

आ0 केतन भाई जी,  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,

Comment by Ketan Parmar on July 19, 2013 at 11:56am

वाह! केवल प्रसाद जी

सादर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:13am

आ0 बृजेश भाई जी,  आपका सस्नेह हार्दिक स्वागत है।  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 19, 2013 at 10:11am

आ0 कुन्ती मैम जी,  आपका अपार स्नेह व सराहना पाकर मेरा प्रयास सार्थक हो गया।  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

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