For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - "हक जताता है"

कभी सपने सज़ाता है कभी आंसू बहाता है
खुदा दिल चीज़ कैसी है जो पल में टूट जाता है

ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है

मेरी ज़र्रा नवाज़ी को न कमज़ोरी समझना तुम
अदाकारी परखने का हुनर हमको भी आता है

जो ज़ेरेख्वाब ही मदमस्त हो अपने लिए जीता
ये आदमजात है भगवान को भी भूल जाता है

मै रोऊँ या हंसूं मंज़ूर पर उसको ही लेकर के
भला क्यों आज भी हम पर वो इतना हक जताता है

अदा-ए-दिल्लगी उसकी “ऋषी” दिल जीत लेती है
मुझे ही सामने कर जब मेरी गज़लें सुनाता है 

अनुराग सिंह “ऋषी”

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 937

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 15, 2013 at 1:02am

अच्छी ग़ज़ल हुई है...दाद कुबूल करें !

Comment by shashi purwar on July 14, 2013 at 10:49pm

waah kya baat hai sundar sher kahe aapne badhai


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:12pm

प्रिय अनुराग जी, बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई कबूल कीजिये..

ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है

इन पंक्तियों पर विशेष दाद.................

Comment by मोहन बेगोवाल on July 13, 2013 at 9:59pm

अनुराग जी ,

आप जी की गज़ल बहुत उम्दा ,बहुत ही कमाल का शेर 

ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है 
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है 

Comment by Shyam Narain Verma on July 13, 2013 at 5:57pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by Anurag Singh "rishi" on July 13, 2013 at 5:52pm

शशी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका हौसला आफजाई के लिए तथा इतना तर्कसम्मत सुझाव देने के लिए अवश्य आपके सुझाव पर अमल करूँगा
सादर

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 13, 2013 at 5:51pm

आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ कविता मैम

Comment by Shashi Vivek on July 13, 2013 at 2:57pm

 ऋषि साहिब आप ने खूब ग़ज़ल कही है. बस आप से एक गुजारिश है इतनी खूबसूरत उर्दू ग़ज़ल के बीच " व " शब्द फिट सा नहीं हो रहा . आप इसे हटा भी सकते हो.

Comment by Kavita Verma on July 13, 2013 at 2:33pm

ये उठते को गिराता है व गिरते को उठाता है 
अरे ये वक्त ही तो है सदा हमको सिखाता है

behad khoob surat lines hai ...abhivadan sweekare ..

Comment by Anurag Singh "rishi" on July 13, 2013 at 12:06pm

ह्रदय से आभार है आपका नीरज जी हौसला आफजाई के लिए शुक्रिया
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
22 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service