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मेरे गीतों में मीरा दीवानी सही

ओ.बी.ओ. के पावन मंच और गुरुजनों को सादर प्रणाम करता हूँ. समयाभाव के चलते  नियमित रूप से मंच से जुड नही पा रहा हूँ इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ  और आप सबके बीच कुछ मुक्तक निवेदित कर रहा हूँ. कृपया मार्गदर्शन करें .सादर

क्यूँ कभी प्रेम की ये निशानी लगे.

अश्रुपूरित कभी  ये जवानी  लगे.

ओस बन खो गये हैं हवा में कहीं,

बूँद पानी  की ये  जिंदगानी  लगे.

प्रेम  की  बागवानी  पुरानी  सही.

कृष्ण-राधा की प्यारी कहानी सही.

तुम लिखो फूल को शूल चाहे अनल,

मेरे गीतों  में  मीरा  दीवानी  सही .

शब्द से खेलना हमको आता नहीं.

तौल कर बोलना हमको आता नहीं.

जिंदगी   प्रेम  का गीत  है साथियों,

द्वैष विष घोलना हमको आता नहीं.

गीत कविता गजल गुनगुनाता चलूँ.

आँख से  आँसुओं  को  चुराता  चलूँ.

प्यार की धुन बनो तो गजल मैं कहूँ,

साथ जन्मों जनम तक निभाता चलूँ.

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

    शैलेंद्र सिंह 'मृदु'

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 5, 2013 at 3:18pm
आदरणीय..शेलेन्द्र सिंह जी, बहुत ही खूबसूरत पंक्तिया, ""शब्द से खेलना हमको आता नहीं.

तौल करबोलना हमकोआता नहीं.

जिंदगी प्रेम का गीत है साथियों,
,
द्वैष विष घोलना हमको आता नहीं."".....सुंदर,सरल सहज रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाऐं
Comment by Sumit Naithani on July 5, 2013 at 2:35pm

शब्द से खेलना हमको आता नहीं.

तौल कर बोलना हमको आता नहीं....सुंदर ...मगर बात को हमेशा तोल के ही बोलिए....

कृपया ध्यान दे...

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